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नीति सन्देश। पुराने समय में एक संत बहुत विद्वान थे और उनके पास धन की भी कोई कमी नहीं थी। दूर-दूर से लोग उनके पास अपनी परेशानियां लेकर आते और वे उनका समाधान बता देते थे।

उनके गांव में एक लड़का बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी। एक दिन वह संत के पास पहुंचा और बोला कि गुरुजी आप मुझे कोई ऐसा उपाय बताइए, जिससे मेरी सभी समस्याएं खत्म हो जाएं और मैं भी आपकी तरह ही सफल इंसान बन सकूं।

संत ने उस लड़के की पूरी बात सुनी और बोले कि ठीक मैं तुम्हें एक उपाय बता दूंगा। कल सुबह तुम मुझे नदी किनारे मिलने आना। अगले दिन लड़का सुबह जल्दी उठा और नदी किनारे पहुंच गया। संत भी वहां पहुंच गए थे।

संत उस लड़के को लेकर नदी के बीच में पहुंच गए। अब दोनों के सिर्फ सिर ही पानी से बाहर थे। तभी अचानक संत ने उस लड़के का सिर पकड़ा और उसे पानी में डुबोने लगे।

लड़का पानी में डुबने लगा, जैसे-तैसे वह संत के हाथ बचा और नदी से बाहर निकला। संत भी नदी से बाहर निकल आए। लड़के ने संत से कहा आप तो मुझे मारना चाहते हैं। संत ने कहा कि नहीं, मैं तो तुम्हें सफलता का रहस्य समझा रहा था।

संत ने पूछा कि जब तुम पानी में डुब रहे थे, तब तुम्हें क्या पाने की इच्छा सबसे ज्यादा हो रही थी?

लड़के ने कहा कि डुबते समय मुझे सबसे ज्यादा एक सांस लेने की इच्छा हो रही थी।

संत ने कहा कि बस ठीक इसी तरह सफलता का भी नियम है। जब तक तुम किसी काम में तन-मन नहीं लगाओगे तब तक सफलता नहीं मिल पाएगी। काम कोई भी जी-जान से काम में जुट जाना चाहिए और दूसरी बातों में ध्यान भटकाना नहीं चाहिए। तभी काम में सफलता मिल पाती है।

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