न्यूज डेस्क / देहरादून। बायोटेक टेस्टिंग सर्विसेस (बीटीएस) लेबोरेटरी ने प्रमाणित किया है कि ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के खिलाफ लिविंगार्ड मास्क प्रभावी हैं। स्विट्जरलैंड स्थित हाइजीन टेक्नोल़ॉजी कंपनी लिविंगार्ड एजी ने साल 2020 में उनका एंटीवायरल फेस मास्क लॉन्च किया था जिसके बारे में यह गौर किया गया था कि यह अपनी तरह का अनोखा मास्क है जो एसएआरएस-सीओवी2/कोविड-19 वायरस सहित बैक्टीरिया और वायरसों को नष्ट कर सकता है।
देश भर में कोविड के बढ़ते मामलों के बीच, भारत में ब्लैक फंगस के 28,252 से ज्यादा (7 जून के आँकड़े) रिपोर्ट किए गए मामलों के साथ म्यूकरमाइकोसिस तेजी से देश में अगले सबसे बड़े खतरे के रुप में उभर कर सामने आया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने कहा कि म्यूकरमाइकोसिस के 28,252 मामलों में से 86 प्रतिशत संक्रमणों में कोविड-19 का इतिहास रहा है और 62.3 प्रतिशत में डाइबिटीज का इतिहास रहा है। इसी के मद्देनजर, भारत सरकार ने भी राज्यों से ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) को महामारी घोषित करने के लिए कहा है और इस तरह इसे महामारी रोग अधिनियम 1897 के अंतर्गत अधिसूच्य रोग बना दिया गया है।
संजीव स्वामी, संस्थापक, आविष्कारक और सीईओ, लिविंगार्ड एजी ने कहा, “आधुनिक विश्व के लिए योग्य हाइजीनध्स्वच्छता उपलब्ध कराना हमेशा से हमारा मिशन रहा है। इसलिए जब हमने भारत में म्यूकरमाइकोसिस के बढ़ते मामलों के बारे में सुना तो हमने तेजी से बायोटेक टेस्टिंग सर्विसेस (बीटीएस) लेबोरेटरी में हमारे लिविंगार्ड ट्रीटेड मास्क का परीक्षण करवाया और नतीजों ने प्रदर्शित किया कि यह ब्लैक फंगस के खिलाफ सशक्त रुप से प्रभावी है।
हम नतीजों से खुश हैं, और हमें लिविंगार्ड मास्क की विशेषताओं पर दृढ़ता से भरोसा है जो इसके उपयोगकर्ताओं को अभूतपूर्व स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं। ऐसे लोग जिनमें अन्य बीमारियाँ हैं और जो हाल ही में कोविड संक्रमण से ठीक हुए हैं वे इस खतरनाक फंगस के खिलाफ स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए इस मास्क को पहन सकते हैं।”
भारत के सबसे सम्मानित वैज्ञानिकों में से एक पद्म विभूषण, डॉ. रघुनाथ माशेलकर ने कहा, “ रोग प्रतिरोध करने में अक्षम ऐसे मरीजों के लिए, जो गंभीर डायबिटीज, एचआईवीध्एड्स, कैंसर जैसी बीमारी से पीड़ित हैं या हाल ही में कोविड संक्रमण के बाद ठीक हुए हैं।
लिविंगार्ड मास्क पहनना और यह जानना की म्यूकरमाइकोसिस से उनकी रक्षा हो सकती है, एक बहुत बड़ी राहत है। मास्क के संपर्क में आने पर म्यूकरमाइकोसिस को निष्क्रीय करने वाली यह वैज्ञानिक खोज एक वैश्विक गेम चेंजर साबित हो सकती हैय लिविंगार्ड पीआरओ या अल्ट्रा मास्क को पहनने से जीवन की रक्षा की जा सकती है, कोविड मरीजों में लंबे समय तक संक्रमण की रोकथाम की जा सकती है और काफी तेजी से सामान्य जीवन में लौटना उनके लिए संभव हो सकता है।”
डॉ. एस नायर, पीएचडी माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक टेस्टिंग सर्विसेस (बीटीएस) लेबोरेटरी में क्वॉलिटी मैनेजर ने टिप्पणी करते हुए कहा, “हमारी लेबोरेटरी में हमने लिविंगार्ड के मास्क का परीक्षण किया है और नतीजों में यह प्रदर्शित हुआ है कि मास्क ब्लैक फंगस के खिलाफ प्रभावी हैं।
इसके अलावा मुंबई में सिंथेटिक एंड आर्ट सिल्क मिल्स रिसर्च असोसिएशन (एसएएसएमआईआरए लेबोरेटरीज) में श्रद्धा डोंगरे द्वारा की गई जाँच में भी इसकी पुष्टी की गई है कि लिविंगगार्ड मास्क को ब्लैक फंगस के खिलाफ बेहद प्रभावी पाया गया है। जब एक संशोधित एंटीफंगल जाँच एएटीसीसी-30 के अनुसार परीक्षण किया गया तो मास्क की बाहरी परत ने म्यूकर रेसमोसस एटीसीसी 42467 के खिलाफ संपूर्ण प्रतिरोध प्रदर्शित किया।
फेस मास्क, टी-शर्ट, फिल्ट्रेशन कैंडल्स, मेडिकल कपड़े, हैंड ग्लोव्ज, सैनिटरी पैड्स जैसे स्वयं को विसंक्रमित करने वाले उत्पादों के डिजाइन, अनुसंधान एवं विकास की व्यापकता के लिए लिविंगार्ड उत्पाद आईएसओ 9001ः2015 प्रमाणित हैं। वर्तमान में लिविंगार्ड इस टेक्नोलॉजी को उन सॉल्यूशन्स में लागू करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है जो लोगों को उन्हें सुरक्षित रखकर, काम पर लौटने, और वापस सामान्य जीवन में लौटने के लिए सक्षम बनाकर स्वास्थ्य के खतरों और संकट के आर्थिक प्रभाव को कम करते हैं।
लिविंगार्ड मास्क विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया और वायरसों के खिलाफ प्रभावी साबित हुए हैं, और अब ब्लैक फंगस के खिलाफ साबित हो चुके इसके प्रभावीपन के साथ यह निश्चित हो गया है कि कोविड-19 और इससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के खिलाफ अनेक मोर्चों पर लड़ाई करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।