Home उत्तराखण्ड योग का मतलब परम आनन्द की प्राप्ति से है-ढाकाराम

योग का मतलब परम आनन्द की प्राप्ति से है-ढाकाराम

न्यूज डेस्क / ऋषिकेश। मुनिकी रेती गढ़वाल मण्डल विकास निगम व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के छटवें दिन प्रभु हेली सेवा के हेलीकाप्टरों द्वारा योग स्थल पर पुष्प वर्षा कर योगाचार्यों, योग साधकों व अतिथियों का स्वागत किया गया। जबकि दूसरी तरफ विभिन्न योग कक्षाओं में योग व प्राणायाम पर योग गुरूओं ने प्रतिभागियों को स्वस्थ्य शरीर के लिए योग की उपयोगिता के बारे में बताया।

योग सत्र के दौरान मुख्य पाण्डाल में योगपीठ संस्थान एवं योग अकादमी जयपुर के योगाचार्य ढाकाराम ने योग के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि योग का मतलब परम आनन्द की प्राप्ति से है, आनन्द तो हर किसी के अन्दर समाहित है। परन्तु हम उसे देख नहीं पाते हैं हम जब साधना करते हैं तो साधना से ही परम योग की प्राप्ति सम्भव है। उन्होंने कहा कि शरीर के शुद्धीकरण के लिए योग की क्रियाओं का अभ्यास बहुत जरूरी है।

प्राणायाम का अभ्यास कराते हुए उन्होंने कहा कि योग क्रिया से शरीर का तंत्र व रक्त परिसंचरण तंत्र मजबूत होता है, जिससे शरीर सर्दी, जुकाम, खाँसी, अस्थमा, निमोनिया व फेफड़ों से सम्बन्धित अन्य बीमारियों से बच सकता है। योगाचार्य ढाकाराम ने कहा कि हमें हमेशा सम स्थिति में खड़े रहने का अभ्यास करना चाहिए ,गलत तरीके से खड़े रहने पर हमारे पैर व शरीर के अन्य अंगों में दर्द शुरू हो जाता है, जैसे ऐड़ियों का दर्द, कमर दर्द, घुटनों का दर्द और पेट का बढ़ जाना ये सभी दिक्कतें सम स्थिति में खड़े न होने के कारण उत्पन्न होती हैं। उन्होंने योग साधकों को हास्यासन का अभ्यास भी कराया।

दूसरी तरफ मुख्य पांण्डाल में विभिन्न योगाचार्यों द्वारा नाद योग व अन्य प्राणायाम पर अपने विचार व्यक्त किये गये। इस अवसर पर योजना आयोग उत्तराखण्ड के उपाध्यक्ष विनय रूहेला योग विभाग, लाल बहादुर शास्त्री योगपीठ के विभागाध्यक्ष, डाॅ0महेश प्रसाद सिलोड़ी, महामण्डलेश्ववर 1008 कैलाशानन्द , प्रो0 सुनील जोशी, कुलपति उत्तराखण्ड आर्युवेद विष्वविद्यालय, डाॅ0 विक्रम सिंह, योग विभागाध्यक्ष, जवाहर लाल नेहरू विष्वविद्यालय दिल्ली आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

सत्र में महर्शि अत्रि सभागार में दून योगपीठ, देहरादून के संस्थापक आचार्य, विपिन कहा कि उत्तराखण्ड के गावों को यदि योग और आर्युवेदिक ग्राम के रूप में विकास किया जाता है । तो गांव से पलायन रोका जा सकता है वहीं नगर पालिका हाल में स्वामी जीतानन्द महाराज, श्री गुरू राम राय विष्वविद्यालय की योग विभागाध्यक्ष, डाॅ0 सरस्वती काला ने योग साधकों को योग व प्राणायाम के बारे में जानकारी दी।

लाइट एण्ड साउण्ड हाल में संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के डाॅ0 लक्ष्मी नारायण जोशी ने नाड़ी विज्ञान व योग चिकित्सा के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी उन्होंने हाईपर एसीडिटी को दूर करने के लिए पाद मन्दिर आसन का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति अपना एलाइमेंट ठीक रखे तो वह कई रोगों से बच सकता है।

हमारे गलत ढंग से उठने, बैठने, खड़े होने, चलने फिरने की आदतों से भी कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। योगिनी ऊशा माता जी ने पार्किंग हाल में योग साधकों को योग और प्राणायाम के अभ्यास कराये। जूना अखाड़े के आचार्य्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द महाराज ने दोपहर बाद मुख्य पांण्डाल में योग साधकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वयं की ओर लौटना व स्वयं से जुड़ने का नाम ही योग है। योग अपनी सत्ता से व अपनी निजता से यथार्थ के प्रकाशन की विधा है, जब व्यक्ति सत्य से परिचित हो जाता है तो तब मिथ्या चीजें मिट जाती है।

आनन्द और पूर्णता का बोध कराते हुए साधक को योग अनन्त की अनुभूति दिलाता है। योग की सिद्धि अभ्यास से है और हम जो कुछ भी आज हैं वह वर्षो के अभ्यास का परिणाम है। श्रद्धा और विश्व्वा्स के बिना आप देख नहीं पाते, देह की जड़ता व बुद्धि के भ्रम को दूर किये बिना योग की सिद्धि नहीं हो सकती योग का अर्थ शोक रहित होना है। उन्होंने कहा कि योग ज्ञान व प्रज्ञा के चक्षु को खोलता है पूरे विष्व को भारत के योग ने कोरोना काल में संभाल कर रखा उन्होंने कहा कि जीवन जीने की राह योग से ही खुलती है।

सांय कालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मोहित चौहान द्वारा शानदार प्रस्तुति दी जो दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहा। कार्यक्रम स्थल पर गढ़वाल मण्डल विकास निगम के प्रबन्ध निदेषक, डाॅ0आशीष चौहान, महा प्रबन्धक(पर्यटन), जितेन्द्र कुमार, महाप्रबन्धक(प्रशासन), अवधेष कुमार सिंह, महा प्रबन्धक(वित्त) एवं अभिषेक कुमार आनन्द समेत अनेक अधिकारी/कर्मचारी मौजूद रहे।