न्यूज डेस्क / देहरादून। ‘साईं थॉट लीडरशिप’ का पहला अधिवेशन सुब्रतो बागची के मार्गदर्शक अभिभाषण के साथ आरम्भ हुआ जिसमे उन्होंने उस एक्शन प्लैन पर बल दिया जिसके द्वारा किसी शैक्षिक संस्था या अन्य संस्थान का नेतृत्व आज के परिदृश्य में अघोषित तथा अचिंतनीय संकट का निर्भीक हो सामना कर सके।
भारत के अग्रदूत विद्यालयों में अन्यतम साईं इंटर नेशनल स्कूल की मेजबानी में साईं थॉट लीडरशिप’ जैसी चर्चा-शृंखला का आयोजन किया गया जिसका लक्ष है देश का विकाश सुब्रतो बागची (चेयरमैन, ओडिशा स्किल डेवलपमेंट ऑथोरिटी, मुख्य प्रवक्ता, कोविड-19, ओडिशा सरकार, सह-संस्थापक-माइंड ट्री तथा बेस्ट सेलिंग पुस्तकों के लेखक) तथा डाक्टर विजय कुमार साहू ( उपदेष्टा व कार्यकारी अध्यक्ष-ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन, ओडिशा सरकार तथा संस्थापक व सलाहकार, साईं इंटरनेश्नल एजुकेशन ग्रुप ने मिलकर इस अवसर का आगाज किया
साई थॉट लीडरशिप एक शैक्षिक मंच है जहां अपने-अपने क्षेत्र के प्रसिद्ध व मार्ग निर्माता व्यक्ति देश की सर्वांगीण उन्नति का लक्ष्य लेकर ज्वलंत सामाजिक विषयों पर चर्चा करते हैं। ये विज्ञ वक्ता अपने समृद्ध वक्तव्य से न केवल नागरिक क्षमताओं का विकास करेंगे बल्कि जनसाधारण की चिंतन प्रक्रिया को संचालित करते हुए समाज के लिए मार्ग-अन्वेषक तथा समस्या- निवारक बनेंगे। प्रत्येक अधिवेशन के बाद मुख्य वक्ता व डॉ विजय कुमार साहू, उपदेष्टा व कार्यकारी अध्यक्ष-ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन, ओडिशा सरकार तथा संस्थापक व सलाहकार, साईं इंटरनेश्नल एजुकाशन ग्रुप के मध्य एक भावोदीपक वार्तालाप का आयोजन भी किया जाएगा।
साईं थॉट लीडरशिप’ के प्रथम अधिवेशन का विषय था श्मूविंग द माउंटेन्स रू मैनेजिंग क्राइसिस। इस विषय पर अपना वक्तव्य रखते हुए डॉक्टर सुब्रतो बागची ने एक्शन प्लान पर बल देते हुए कहा कि कैसे किसी शैक्षिक संस्था या अन्य संस्था का नेतृत्व वर्तमान काल के परिदृश्य में संकट से सामना कर सकेगा ’ सुब्रतो बागची ने संकटकाल से निबटने के लिए एक 20 सूत्री रणनीति का जिक्र किया।
तीन बिंदुओं पर खास तवज्जो देते हुए उन्होंने कहा कि संकट के समय किसी भी नेतृत्व को इनका परिपालन करना आवश्यक है–1. सावधानी व सतर्कता 2. तात्कालिकता तथा 3. आशा की स्थापना ’ यह पूछने पर कि संकट का सामना करते समय किसी नेतृत्व को श्रीराम की तरह विधि-पालक होना चाहिए या विधि-विरोधी, उन्होंने कहा, यह एक ट्रिकी क्वेश्चन है लेकिन श्रीराम और श्रीकृष्ण दोनों ही ईश्वर के अवतार हैं।
पुराणों में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण सिर्फ इसलिए किया गया है ताकि पाठक यह समझ सकें कि सत्य हमेशा अंतर्विरोधों से ही उद्घाटित होता है। यह आप पर निर्भर है कि आप सत्य को खोजते हुए खो जाएंगे या अंतर्विरोधों का सामना करते हुए उनमें से सत्य को खोज निकालेंगे। पुराणों में इस तरह की कठिन परिस्थितियों का निर्माण इसीलिए किया गया है ताकि पाठक अपने आप से गहन प्रश्न पूछ सकें । हमें याद रखना है कि श्रीकृष्ण में श्रीराम समाहित हैं और श्रीराम में श्रीकृष्ण ’
यह पूछने पर कि एक पाठक आपकी किस पुस्तक को पहले पढ़ना चाहेगा, उन्होंने बताया- मुझे लगता है कि जहां काफी लोगों ने मेरी किताब गो किस द वर्ल्डश् को सराहा वहीं अनेक पाठकों ने प्रोफेशनलश् की प्रशंसा की है। मैं समझता हूं कि प्रोफेशनलश् आधुनिक दौर में बड़ा ही प्रासंगिक है। गो किस द वर्ल्डश इसलिए अधिक चर्चित हुई क्योंकि यह प्रत्येक परिवार की कहानी है। जहां तक नए प्रोफेशनल्स का संबंध है, उन्हें मेरी किताब प्रोफेशनलश को अवश्य पढ़ना चाहिए ।
उड़ीसा में कोविड-19 परिचालन पर जब उनसे चर्चा की गई, उन्होंने बताया कि संकटकाल दरअसल नवोन्मेष का समय होता है, सामान्य व्यवसाय का नहीं । उन्होंने आगे बताया, इस दौरान उड़ीसा सरकार ने कुछ अद्भुत कदम उठाए थे– पहला तो यह कि सरकार ने पेंडामिक के दौरान प्रत्येक सरपंच को कलेक्टर की क्षमता दे दी ताकि वे अपने क्षेत्र में आने वाले प्रवासी मजदूरों से उत्पन्न स्थिति से निपट सके दूसरा महत्वपूर्ण कार्य सरकार ने यह किया कि गांव में प्रवास से लौटने वाले मजदूरों के भोजन के लिए गांव की ही मां-बहनों को जिम्मेदारी सौंप दी। इसके लिए स्थानीय सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के कंधों पर इन बेसहारा लोगों को खिलाने का उत्तरदायित्व डाला गया।
यह एक सार्थक कदम था, इस एहसास को साकार करने के लिए गांव की सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को आर्थिक सहायता दी गई । सरकार ने यह अनुभव किया कि यह एक ऐसा दौर है जिससे सेक्रेटेरिएट में बैठकर निपटना मुमकिन नहीं, इससे गांव तथा ग्रामीणों के स्तर पर ही निपटा जा सकेगा । प्रत्येक नेतृत्व के लिए यह महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा का संरक्षण हो ताकि संकटकाल का सामना किया जा सके।
अपने अनुभव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हमें सामाजिक स्मृति का जागरण करना पड़ेगा ताकि भविष्य में जब भी इस प्रकार कोई संकट आए तो अपनी सामाजिक स्मृति के आधार पर हम उसका मुकाबला कर सकें। हमने उड़ीसा में आए सुपर साइक्लोन का मुकाबला साधन से नहीं बल्कि सामाजिक स्मृति से किया। अतः संकट वह समय है जिसके माध्यम से हम सामाजिक संबंध और सामाजिक स्मृति कायम कर सकते हैं ।
साईं थॉट लीडरशिप’ के प्रथम अधिवेशन में बोलते हुए डॉ विजय कुमार साहू ने बागची से अनुरोध किया कि वे उड़ीसा के स्टार्टअप्स के बारे में अपना सुचिंतित मत रखते हुए राज्य के युवा उद्यमियों को उत्साहित करें ताकि वे क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकें ।
भारत का अग्रणी शैक्षिक संस्थान होने के नाते साईं इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप चाहता है कि शिक्षा को अधिक प्रासंगिक बनाते हुए राज्य के शिक्षकों, अभिभावकों तथा छात्रों को साथ लेकर प्रांत के शिक्षा-क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सके इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर ही साईं थॉट लीडरशिप’ का उदय हुआ, इस उद्देश्य के साथ कि प्रांत के विभिन्न क्षेत्रों के नेतृत्व को अनुप्राणित किया जा सके जो समय के तकाजे पर खरे उतरे हैं और जो उच्च समभाव-संपन्न है ।
साईं थॉट लीडरशिप’ एक बेहतरीन मौका है जब इसके मंच से समाज के प्रमुख आधार स्तंभ माने जाने वाले मुख्य वक्ता गण समाज को कुछ देने तथा समाज के साथ अपनी एकात्मता के जज्बे को बयान करते हुए श्रोताओं तथा दर्शकों को समृद्ध कर सकेंगे।