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स्थानीय संपादक / नारायणबगड़ चमोली। स्थानीय उत्पादनों से बेहतरीन हैंडीक्राफ्ट निर्माण करके स्थानीय स्तर पर ही युवा स्वरोजगार अपनाकर रोजी-रोटी जुटाने में लगे हुए है। जहाँ कोरोनाकाल ने पहाड़ के युवाओं को शहरों से गांव वापस लौटाकर बेरोजगारी के कगार पर धकेल दिया है।

तो वहीं पिण्डरघाटी के धारबारम गांव के निवासी अनिल कुमार भारती ने मींगगधेरा बाजार में लकड़ी,बांस और रिंगाल से डैस्टबीन,वास्केट,लैंप स्टेंड,सूप, कॉस्टर,गुलदस्ते,शौपिंग बास्केट,ऐस्ट्रा,पैन स्टेण्ड,और स्थानीय लोगों के प्रयोग में आने वाले सोल्टी,कंडी,हल,जुएं, महिलाओं के लिए हेयर रिंग,बैंगल आदि बेहतरीन कलाकृतियों वाले हैंडीक्राफ्ट निर्माण कर स्वरोजगार को बढ़ावा दिया है,और यह सब चीजें हाथों-हाथ बिक भी रहे हैं ,जहाँ चाह,वहाँ राह।

अनिल ने बताया कि लॉकडाउन से पहले वह भारतीय बांस अनुसंधान प्रौद्योगिकी केंद्र दिल्ली में बतौर मास्टर ट्रेनर काम करते थे। इसके तहत वह मध्यप्रदेश,ललितपुर,कोटद्वार से दुगड्डा आदि क्षेत्रों में लोगों को ट्रेनिंग दे चुके हैं।

अनिल कहते हैं कि हम स्थानीय विभिन्न कच्चे सामाग्रियों से बहुत कुछ अच्छे सामाग्रियों का निर्माण कर रोजगार की दिशा में स्वावलंबी बन सकते हैं और प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर प्राकृतिक संसाधनों को अपना कर प्रकृति और पर्यावरण को भी संरक्षित कर सकते हैं।

अनिल अभी अपने साथ आठ दस युवाओं को भी प्रशिक्षित कर रहे हैं। अनिल ने बताया कि उनके पास अभी भारतीय बांस अनुसंधान प्रद्योगिकी केंद्र दिल्ली से भी कुछ डिमांड आई है। जिन पर वे तेजी से काम कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों का भी बहुत अच्छा सहयोग उन्हें मिल रहा है। लोग भी अच्छी खरीददारी कर उनके मनोबल बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। अनिल युवाओं को संदेश देते हैं कि हमें स्वरोजगार को बढ़ावा देने की जरूरत है। ताकि हमारे पहाड़ों से पलायन को रोकने में भी सफलता मिल सके।
रिपोर्ट – सुरेन्द्र धनेत्रा

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