बीएसएनके न्यूज / देहरादून डेस्क। देश में लगातार बड़ रही महंगाई एवं बेरोज़गारी ने देश के आम आदमी की आर्थिक स्थिति की कमर तोड़ कर रख दी है ,और अगर सरकार ने जल्दी ही गम्भीरता से इनको नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम नही उठाये तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है , उपरोक्त विचार उत्तराखण्ड नवनिर्माण अभियान के संयोजक डा.महेंद्र राणा ने एक राष्ट्रीय बुद्धिजीवी विचार मंच के संयुक्त वेबिनार में रखे । उन्होंने आगे कहा कि महंगाई बढऩे के मुख्य कारण कालाबाजारी, भ्रष्टाचार, आपदा, वस्तुओं की मांग व आपूर्ति में अंतर होना हैं। पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
जैसे – जैसे पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ते हैं, वैसे ही अन्य जरूरत की वस्तुओं की कीमत बढ़ती है, क्योंकि माल ढुलाई के लिए ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि यकीनन कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार न केवल महंगाई पर काबू पाने में नाकामयाब रही, बल्कि उसकी गलत नीतियों और फैसलों के कारण देश में बेरोज़गारी में भी बेतहाशा इजाफा ही हुआ है। नोटबंदी के फैसले से अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों पर आई आंच का असर अब भी पूरी तरह थम नहीं पाया है।
देश में चल रहे अनेकों सर्वेक्षणों से एक और बात सामने आई कि आम जनता अब भी भ्रष्टाचार को बड़ी समस्या मानती है, लगभग 78 फीसदी लोगों ने माना कि वे रोजमर्रा स्तर पर जिस प्रकार के भ्रष्टाचार का सामना कर रहे थे, उसमें कमी लाने में मोदी सरकार नाकाम रही है ।इन सर्वेक्षणों में शामिल 37 फीसदी लोगों का मानना है कि नए नोटों की आड़ में काला धन फिर से बाजार में लौट आया ।रसोई का बजट अनियंत्रित और असंतुलित हुआ है। चाय, दाल और खाद्य तेल की कीमतों में भारी उछाल हुआ है। केंद्र सरकार ने जमाखोरी और कालाबाजारी पर अंकुश लगाने के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए, जिसका दुष्परिणाम यह है कि आम आदमी को महंगाई का बोझ झेलना पड़ रहा है।
भाजपा जिस महंगाई व बेरोज़गारी के मुद्दे को लेकर सत्ता में आयी थी, उसकी उपेक्षा की गई। सत्ता में पूर्ण बहुमत से आने के बावजूद अगर भाजपा सरकार विपक्ष या अन्य किसी पर दोष ठहराती है तो यह सरकार की नाकामयाबी है। देश में पेट्रोल और डीजल के भाव 100 से पार हो चुके हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें कम ही बनी हुई हैं।
केंद्र सरकार केवल अपनी जेब भरने में लगी है। सबको पता है कि तेल की कीमत से पूरी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है। फिर भी केंद्र सरकार चुप्पी साधे हुए है। डा. राणा ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि जनता बेरोजगारी, भुखमरी और महंगाई से बुरी तरह त्रस्त है ,यदि महंगाई पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो हालात और गंभीर होंगे।