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भू कानून पर धामी सरकार ने उत्तराखंड की जनता की उम्मीदें तोड़ी- कर्नल कोठियाल

बीएसएनके न्यूज संवाददाता / देहरादून डेस्क। आम आदमी पार्टी के सीएम प्रत्याशी कर्नल कोठियाल ने विधानसभा सत्र के आखिरी दिन भी सशक्त भू कानून को लेकर कोई भी विधेयक पेश ना करने पर सरकार की मंशा पर सवालिया निशान उठाया। उन्होंने कहा,सशक्त भू क़ानून को लेकर उत्तराखंड की जनता को सरकार से बड़ी उम्मीद थी की सरकार अंतिम सत्र में एक सशक्त भू कानून लेकर आएगी और भूमि की खुली छूट,खुली लूट से उत्तराखंड की जनता को निजात मिलेगी। लेकिन सरकार ने आखिरी सत्र में सशक्त भू कानून न लाकर अपने इस तुगलकी फैसले को बरकरार रखा है।

उन्होंने ट्वीट कर कहा,भू-कानून, पर फिर उत्तराखंड की उम्मीदों को पुष्कर सिंह धामी सरकार ने तोड़ा है। उन्होंने कहा,उत्तराखंड की अस्मिता उसकी भूमि है ।

हमारे हज़ारों युवा उत्तराखंड की इस अस्मिता को बचाने के लिए महीनों से संघर्ष कर रहे हैं हमें उम्मीद थी की सरकार भू-कानून पर कोई ठोस फैसला लेगी और विधानसभा सत्र के दौरान कोई ठोस फैसला लेगी मगर धामी जी की ओर से हम सभी के हाथ निराशा ही लगी,उत्तराखंड की जनता की उम्मीदें टूटी हैं ।

उन्होंने कहा,उत्तराखंड विधानसभा के इस सत्र में भी भू-कानून नहीं आया, भू-कानून लाना तो दूर की बात भाजपा-काँग्रेस ने भू-कानून पर बात तक नहीं की। उन्होंने दोनों पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए कहा, क्या ये है इन पार्टियों की उत्तराखंड के प्रति जिम्मेदारी? क्या ये उत्तराखंड के इतने गम्भीर मुद्दे पर बात भी नहीं कर सकते?

उन्होंने कहा,हमें इस व्यवस्था को बदलना होगा, इन दोनों पार्टियों को उखाड़ फेंकने से ही उत्तराखंड की अस्मिता बचाई जा सकेगी,और यहां के लोगों की अस्मिता यहां की भूमि को बचाने के लिए एक मजबूत भू-कानून बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा,हम सरकार में आते ही एक सशक्त भू-कानून बनाएंगे और उत्तराखंड की भूमि के एक टुकड़े को भी गलत हाथों तक नहीं पहुँचने देंगे।

उन्होंने कहा सरकार की सशक्त भू कानून को लेकर खुली छूट खुली लूट की सोच है इसलिए उन्होंने जनता को गुमराह करने के लिए केवल कमेटी बनाकर उत्तराखंड की जनता के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा,भू कानून को दरकिनार कर सरकार अपने खुली लूट खुली छूट के तुगलकी फैसले पे अब भी क़ायम है। उन्होंने कहा,सरकार के पास अपने आपराधिक पश्चयताप का एक मौका था जिसे सरकार ने खो दिया और सशक्त भू कानून न लाकर सरकार ने अपनी विदाई सुनिश्चित कर ली है।