न्यूज डेस्क / गैरसैंण। उत्तराखण्ड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मसूरी विधायक गणेश जोशी ने समाज कल्याण विभाग से सम्बन्धित दो प्रश्नों को सदन में उठाया।
अपने पहले प्रश्न में विधायक जोशी ने समाज कल्याण मंत्री से पूछा कि समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जानी वाली वृद्वावस्था, विधवा एवं दिव्यांग पेंशन के लिए पात्रता में रुपये 4000 के आय प्रमाण पत्र की बाध्यता होती है और इस आय प्रमाण पत्र को बनाने के लिए तहसील स्तर पर अत्यधिक दिक्कत होती है। उन्होंने आय सीमा को बढ़ाने या तहसील कार्मिकों को प्रमाण पत्र बनाने में दिक्कत न करने हेतु सदन की ओर से निर्देशित करने का अनुरोध किया गया।
समाज कल्याण मंत्री द्वारा दिये गये लिखित उत्तर में कहा कि पेंशन पात्रता के लिए रुपये 4000 तक के आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है लेकिन आय सीमा को बढ़ाना जाना वित्तीय संसाधनों पर निर्भर करेगा। विधायक जोशी ने कहा कि सरकार इस दिशा में अवश्य ही प्रयास करेगी ताकि आमजन को इसका लाभ मिल सके।
अपने दूसरे प्रश्न में विधायक जोशी ने समाज कल्याण मंत्री से समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं विधवा पेंशन प्राप्त कर रही महिलाओं की पुत्रियों की विवाह के लिए दी जाने वाली धनराशि का विवरण मांगा। उन्होंने यह भी पूछा क्या इस धनराशि को प्राप्त करने वाले आवेदक को बीपीएल अथवा 1250 रुपये का आय प्रमाण पत्र धारक होना चाहिए। जोशी ने पूछा कि आज के समय में 1250 की धनराशि का आय प्रमाण पत्र बनाना बहुत की मुश्किल का काम है क्योंकि पटवारी द्वारा यह कहा जाता है कि 1250 की धनराशि का आय प्रमाण पत्र बनाया जाना सम्भव नहीं है।
विधायक जोशी ने कहा कि इस कारण से ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। विधायक जोशी ने यह भी पूछा कि सरकार एससी, एसटी एवं विधवा महिलाओं के पुत्रियों के विवाह के लिए दिये जाने वाले अनुदान के लिए आय की सीमा को बढ़ाने पर विचार करेगी।
समाज कल्याण मंत्री ने बताया कि अनुसूचित जाति, जनजाति एवं विधवा महिलाओं की पुत्रियों की शादी हेतु सरकार द्वारा रुपये 50000 की धनराशि दी जाती है। उन्होनें यह भी माना कि इस हेतु रुपये 1250 का आय प्रमाण पत्र अथवा बीपीएल प्रमाण पत्र आवश्यक होता है। इतने कम धनराशि का आय प्रमाण पत्र बनाये जाने के प्रश्न पर मंत्री ने बताया कि राजस्व विभाग के लेखपाल या पटवारी की जांच आख्या के आधार पर तहसीलदार द्वारा आवेदक को आय प्रमाण पत्र निर्गत किया जाता है जिससे वास्तविक लाभार्थी को लाभ प्राप्त हो सके। आय प्रमाण पत्र में आय की सीमा को बढ़ाये जाने के प्रश्न पर मंत्री ने बताया कि यह वित्तीय संसाधनों पर निर्भर करता है।