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न्यूज डेस्क / देहरादून। आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड के प्रदेश प्रवक्ता संजय भट्ट ने मांग की है कि उत्तराखण्ड में भी दिल्ली की तर्ज पर शहीदों के परिजनों को 1-1 करोड़ की सहयोग राशि दी जानी चाहिए।

उत्तराखण्ड के चमोली जिले में 7 फरवरी को आई आपदा में उत्तराखण्ड पुलिस के 2 जवान हैड कॉन्स्टेबल मनोज चौधरी व कॉन्स्टेबल बलवीर सिंह गाड़िया ड्यूटी के दौरान बाढ़ में बह कर शहीद हो गए थे। जबकि 10 फरवरी को पौडी गढ़वाल जिले के गढ़वाल वन प्रभाग की पौखडा रेंज में लगी आग बुझाने के कार्य मे वन दरोगा दिनेश लाल व वन रक्षक हरि मोहन शहीद हो गए थे।

प्रवक्ता संजय भट्ट ने कहा कि जहां दिल्ली में ड्यूटी के दौरान शहीद होने वाले दिल्ली वासी सैनिक, अर्ध सैनिक, होमगार्ड आदि के परिवार को दिल्ली की केजरीवाल सरकार 1 करोड़ सहायता राशि देती है। वहीं उत्तराखण्ड सरकार इन शहीदों के परिजनों को 2.5 लाख से 10 लाख रु राशि दे कर इतिश्री कर लेती है।

संजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड की त्रिवेंद्र सरकार घोषणाएं करने में व्यस्त रहती है। कल भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने घोषणा कर दी कि जंगल की आग बुझाने में शहीद फ्रंटलाइन फोरेस्ट कर्मी के परिवार को 2.5 लाख की जगह 15 लाख की रकम दी जाएगी, यह भी मुख्यमंत्री की कोरी घोषणा ही साबित होगी,अगर मुख्यमंत्री वाकई ऐसा इरादा रखते तो उनको इसकी शुरुवात इन्हीं शहीदों के परिवारों को सहायता राशि बढ़ा कर देनी चाहिए।

संजय भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने आपदा के दृष्टिगत अत्यधिक संवेदनशील गांव के सुरक्षित स्थान पर विस्थापन के नाम पर भी मजाक ही कर रहे हैं। कल ही त्रिवेंद्र रावत ने 4 जिलों के 5 गांव के 51 परिवारों के सुरक्षित स्थान पर विस्थापन के लिए 1 करोड़ 82 लाख रु स्वीकृति किए। संजय भट्ट ने कहा कि हम मुख्यमंत्री से पूछना चाहते हैं कि क्या 3.5 लाख रु एक परिवार के हिसाब से 1.82 करोड़ रु में 51 परिवारों का विस्थापन सम्भव है? जबकि मुख्यमंत्री अपनी विधानसभा डोईवाला में तहसील भवन के निर्माण के लिए 1 करोड़ देते हैं। आखिर इस तरह की संवेदनहीनता क्यूं जबकि आपदा की मार झेल रहे ऐसे परिवार वर्षों से विस्थापन की राह देख रहे हैं।

आप प्रवक्ता संजय भट्ट में कहा कि आज भी सैकड़ों परिवार विस्थापन की बाट जोह रहे हैं, चमोली त्रासदी के बाद भी उत्तराखण्ड की बीजेपी सरकार उन परिवारों से आंखे मूंद कर बैठी है। संजय भट्ट ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि क्या उत्तराखण्ड का निर्माण नेताओं की ऐशगाह स्थली बनाने के लिए हुआ था? आखिर उत्तराखण्ड की सरकारों ने राज्य आंदोलन के शहीदों के सपनों को क्यों मटियामेट कर दिया!

आप उत्तराखण्ड बीजेपी सरकार से मांग करती है कि उत्तराखण्ड के वीर शहीदों व विषम परिस्थितियों में रहने वाले पहाड़ वासियों से इस प्रकार का मजाक न करे, और चारों शहीदों को दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तर्ज पर 1-1 करोड़ सहायता राशि जारी करे। साथ ही सैकड़ो परिवारों के विस्थापन के लिए ऊंट के मुहँ में जीरा जितनी रकम दे कर पहाड़ के लोगों का मजाक न उड़ाए।

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