बीएसएनके न्यूज डेस्क / देहरादून। द सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग यूथ (स्पिक मैके) ‘अनुभव -4’ नामक कार्यक्रमों के हाइब्रिड सम्मेलन के चौथे संस्करण की मेजबानी कर रहा है। ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन कार्यक्रमों की श्रृंखला 29 मई से 4 जून तक आयोजित की जाएगी।
इस अवसर पर बोलते हुए, मीडिया निदेशक, स्पिक मैके, सुमन डूंगा ने कहा, “इस वर्ष, हम अपने प्रमुख ऑनलाइन कन्वेंशन अनुभव के चौथे संस्करण का आयोजन कर रहे हैं। हम आजादी का अमृत महोत्सव – भारत की आजादी के 75 वर्ष भी मन रहे हैं और इस श्रृंखला को संतूर वादक, स्वर्गीय पंडित शिवकुमार शर्मा की याद में समर्पित कर रहे हैं, जिनका हाल ही में निधन हो गया।
अनुभव में 25 से अधिक ऑनलाइन कार्यशालाओं आयोजित की जाएगी जहां भारत के कोने-कोने से 2500 से अधिक छात्र भाग लेंगे। इनमें से कुछ कार्यशाला स्पिक मैके के यू ट्यूब चैनल पर उपलब्ध होंगे। दोपहर के सत्र में वार्ता, फिल्म स्क्रीनिंग, विशेषज्ञों के साथ चर्चा और लोक प्रदर्शन शामिल होंगे। शाम को भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के क्षेत्र के महान उस्तादों को देखने को मिलेगा।
प्रसिद्ध कलाकार जो स्पिक मैके अनुभव 4.0 का हिस्सा होंगे, वे हैं: बेगम परवीन सुल्ताना, उस्ताद वसीफुद्दीन डागर, गुरु घनकांत बोरा, पं तेजेंद्र नारायण मजूमदार, विदवान उमयालपुरम के शिवरामन, विदवान सिक्कल गुरुचरण, विदुषी कन्याकुमारी, पं उल्हास कशालकर, पं. राजेंद्र गंगानी, पं. नित्यानंद हल्दीपुर, विदुषी कपिला वेणु, पं. वेंकटेश कुमार, विदुषी सुगुना वरदाचारी, विदुषी श्रुति सदोलीकर और विदुषी एस सौम्या।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, स्पिक मैके उत्तराखंड की मुख्य-समन्वयक विद्या वासन ने कहा, “स्कूलों और कॉलेजों के प्रतिभागी व्यक्तिगत रूप से महान गुरुओं से भारत के विभिन्न कला रूपों को सीखेंगे और एक हॉल में बड़ी स्क्रीन पर कुछ सुंदर संगीत कार्यक्रम भी देखेंगे। प्रतिभागियों को शास्त्रीय संगीत और नृत्य संगीत, व्याख्यान प्रदर्शन, कार्यशालाएं, वार्ता, नाद योग, हठ योग, ध्यान, सिनेमा क्लासिक्स, लोक कला और शिल्प, सांस्कृतिक विरासत जैसी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कुछ महान गुरुओं से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
अनुभव 4 वरिष्ठ योग गुरुओं के साथ योग सत्र और ब्रह्मकुमारियों के एक युवा शिक्षक द्वारा ध्यान सत्र के साथ शुरू होगा, इसके बाद विभिन्न शास्त्रीय कला रूपों, लोक रूपों, शिल्प और चित्रकला के गुरुओं के साथ कार्यशालाएं होंगी।