जन संवाद ( बात जन मन की ) कोरोनेशन अस्पताल में इन दिनों स्वास्थ व्यवस्था इन दिनों बे पटरी हो राखी है। जहां पर डॉक्टर मौजूद नहीं है बल्कि स्टूडेंट स्टाफ मरीजों की देखभाल कर रहा है। मरीजों को चाहे मरीज कितना भी सीरियस कंडीशन में क्यों ना हो लेकिन इमरजेंसी में ना ही डॉक्टर है और ना ही उनकी बीपी चेक करने की मशीनें है।
विकास नेगी ने आपनी आँखों देखा हाल बताया कि आज जब करीब सुबह 11:55 am वह अपनी माता जी को स्वस्थ ख़राब होने की स्थिति में अस्पताल ले गये थो, उन्हें कोरोनेशन हॉस्पिटल में इमरजेंसी में एडमिट कराया लेकिन एमरजैंसी की हालत कुछ ऐसा थी कि अगर माताजी को वहां कुछ देर और रखता तो शायद ही वह अपनी माता जी को जीवित देख पाते।
विकास ने अस्पताल की व्यवस्था के बारे में बताया कि इमरजेंसी में एक महिला थी, जो अपने आप को इंचार्ज कह कर रही थी ,लेकिन उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था। मानो वह हॉस्पिटल में ना किसी पिकनिक स्पॉट पर इंजॉय करने आई हो। विकास ने बताया माताजी की हालत पर उस समय उन्हें स्टूडेंट के साथ मजाक सूझ रहा था। वह लेडी जो अपना को डॉक्टर कह रहे थी उनका बात करने का रवैया इतना बुरा था कि जिन्हें यहां नहीं पता कि मरीज के साथ आए व्यक्तियों से कैसे बात की जाती है।
विकास की वर्तमान सरकार से गुजारिश है कि डॉक्टर की डिग्री उन्हें दी जाए जिन्हें बात करने की तमीज हो। विकास नेगी ने कोरोनेशन हॉस्पिटल की लचर इमरजेंसी सेवा के डॉक्टर के खिलाफ शीघ्र ही कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की ताकि भविष्य में ऐसे स्टाफ के रवैया से किसी व्यक्ति को अपनी जान से हाथ धोना ना पड़े।
( उक्त रिपोर्ट आँखो देखी स्थिति पर आधारित )