सर्दी के मौसम में बढ़ सकता है शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल, इन बातों का रखें ध्यान
बीएसएनके न्यूज डेस्क / हेल्थ डेस्क। खानपान की गलत आदतों की वजह से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है। बॉडी में दो प्रकार का कोलेस्ट्रॉल होता है, इसमें एक होता है गुड और दूसरा होता है बेड कोलेस्ट्रॉल।
सर्दी के मौसम में कोलेस्ट्रॉल का लेवल काफी बढ़ जाता है। इससे हार्ट के फंक्शन पर भी असर पड़ता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मौसम में बदलाव की वजह से खून में लिपिड के लेवल में उतार-चढ़ाव होता रहता है।
शरीर में बेड कोलेस्ट्रॉल का लेवल जीतना अधिक होता है हार्ट डिजीज का खतरा उतना की अधिक है। अकसर देखा भी जाता है कि सर्दियों में हार्ट अटैक के केस बढ़ जाते हैं। इसका एक कारण बॉडी में बढ़ा हुआ बेड कोलेस्ट्रॉल होता है। .
डॉक्टर बताते हैं कि खानपान की गलत आदतों की वजह से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ता है। शरीर में दो प्रकार का कोलेस्ट्रॉल होता है. इसमें एक होता है गुड और दूसरा होता है बेड कोलेस्ट्रॉल।
बेड कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने से शरीर में काफी परेशानी होती है। इससे हार्ट की आर्टरीज में ब्लॉकेज हो जाता है और हार्ट को ब्लड पंप करने में दिक्कत होने लगती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा हो जाता है।
ऐसे रखें अपना ध्यान
वरिष्ठ फिजिशियन के मुताबिक, इस मौसम में लोगों को अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए। डाइट में प्रोटीन और विटामिन शामिल करें,फैट की मात्रा कम रखें. चीज, मक्खन, घी और मलाई वाले दूध का सेवन कम करें। रेड मीट का सेवन न करें, स्ट्रीट फूड से परहेज करें, डाइट में हरी सब्जियों, ड्राई फ्रूट्स और प्रोटीन युक्त चीजों को शामिल करें।
अगर शराब का सेवन करते हैं तो छोड़ दे और धूम्रपान न करें। इसके अलावा यह भी जरूरी है कि अपना लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराएं। इस टेस्ट के माध्यम से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के लेवल का पता चल जाएगा। अगर बेड कोलेस्ट्रॉल बढ़ रहा होगा तो डॉक्टर इसके लिए परहेज बताएंगे या फिर दवा भी दे सकते हैं।
नियमित रूप से एक्सरसाइज करें
डॉक्टर के मुताबिक, सर्दियों में लोग एक्सरसाइज करने से बचते हैं, लेकिन ये जरूरी है कि दिन में कम से कम 15 मिनट तक कोई न कोई व्यायाम जरूर करें। इसके शरीर में मोटापा भी कंट्रोल में रहेगा साथ ही हार्ट डिजीज होने का रिस्क भी कम होगा। अगर किसी मरीज को पहले से ही हार्ट की कोई बीमारी है तो डॉक्टर की सलाह के हिसाब से ही एक्सरसाइज करनी चाहिए।
साथ ही नियमित रूप से अपनी दवाओं का सेवन भी करना चाहिए,अगर किसी मरीज को हाई बीपी की समस्या है तो भी सतर्क रहना चाहिए और अपने बीपी की जांच करते रहना चाहिए।