बीएसएनके न्यूज डेस्क/ राजनीतिक :- कांग्रेस पार्टी ने अपने विस्तृत वचन पत्र के 12वें भाग में ‘पेंशनभोगी जनसेवक’ शीर्षक वाले कॉलम में लिखा है कि कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित रहे, इसके लिए कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाएगा। पेंशनर्स को केंद्र के समान महंगाई भत्ता मिलेगा। उन्हें एरियर्स का भुगतान कराया जाएगा…
कांग्रेस पार्टी ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मंगलवार को अपना वचन पत्र जारी कर दिया है। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर कांग्रेस ने सरकारी कर्मियों को लेकर बड़ा दांव खेल दिया है। वचन पत्र में कहा गया है कि सरकारी कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाएगा। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने पुरानी पेंशन का वादा किया था। दोनों ही राज्यों में सरकारी कर्मियों ने कांग्रेस पार्टी की सरकार बनवाने में अपना भरपूर सहयोग दिया था। अब मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस पार्टी अपना वही दांव खेल दिया है। वचन पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस सरकार की प्रथम कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन जनसेवकों की विभिन्न मांगों पर न्याय संगत निर्णय लिए जाएंगे। मध्यप्रदेश में भी ओपीएस को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बताया जा रहा है।
कांग्रेस पार्टी ने अपने विस्तृत वचन पत्र के 12वें भाग में ‘पेंशनभोगी जनसेवक’ शीर्षक वाले कॉलम में लिखा है कि कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित रहे, इसके लिए कर्मियों को पुरानी पेंशन का लाभ दिया जाएगा। पेंशनर्स को केंद्र के समान महंगाई भत्ता मिलेगा। उन्हें एरियर्स का भुगतान कराया जाएगा। परिवार पेंशन की अर्हता सेवा होगी। परिवार पेंशन रिवाइज करने की अवधि को 80 वर्ष से घटाया जाएगा। पेंशनर्स को अधिकतम आयु छूट के साथ 25 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलेगा। मध्यप्रदेश राज्य पुर्नगठन अधिनियम 2000 की धारा 49 (6) को समाप्त किया जाएगा। सहकारी विभाग के कर्मियों एवं असंगठित एवं संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को अंशदायी पेंशन योजना के लाभ से जोड़ने के लिए पेंशन नियामक प्राधिकरण का गठन होगा। सभी शासकीय, अर्धशासकीय, सार्वजनिक उपक्रम, निगम, मंडल एवं निकायों के कर्मियों के परिवार सहित 25 लाख रुपये का चिकित्सा बीमा एवं दस लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा का लाभ मिलेगा। पटवारियों, पुलिसकर्मियों, शीघ्र लेखकों, प्रयोगशाला तकनीशियनों, फार्मासिस्ट के ग्रेड पे की मांग पर न्याय होगा।
पांच राज्यों में भी दिखेगी ‘ओपीएस’ की ताकत
पुरानी पेंशन के मुद्दे पर सरकारी कर्मचारी, पांच राज्यों के चुनाव में अपनी ताकत दिखाएंगे। यह तय है कि सरकारी कर्मियों का नफा-नुकसान किसी न किसी पार्टी के हिस्से में तो जरूर आएगा। भाजपा का रुख साफ है कि पुरानी पेंशन पर कोई बात नहीं होगी। एनपीएस में सुधार किया जा सकता है, लेकिन ओपीएस की गुंजाइश नहीं है। खुद प्रधानमंत्री मोदी, इस बारे में अपना मत स्पष्ट कर चुके हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी है जो अपनी चुनावी गारंटियों में पुरानी पेंशन प्रमुखता से शामिल कर रही है। पहले हिमाचल प्रदेश में और उसके बाद कर्नाटक में कांग्रेस ने ओपीएस की गारंटी देकर भाजपा के हाथ से सत्ता छीन ली। राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों ने ‘ओपीएस’ लागू कर दिया है, जबकि मध्यप्रदेश और तेलंगाना में पार्टी ने पुरानी पेंशन बहाली का वादा किया है।
इन राज्यों में लागू हो चुकी है पुरानी पेंशन
देश में पुरानी पेंशन का मुद्दा लगातार गर्माता जा रहा है। गैर भाजपा शासित राज्य, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन लागू हो चुकी है। कर्नाटक में भी ओपीएस लागू करने के लिए गुणा-भाग किया जा रहा है। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल की है। ओपीएस बहाली वाला राजस्थान, देश में पहला राज्य बना है। 2023-24 का बजट पेश करने के दौरान सीएम गहलोत ने कहा, सभी सेवारत और रिटायर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का लाभ मिलेगा। इसके बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी सरकारी कर्मचारियों को एनपीएस/ओपीएस का विकल्प दे दिया। झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने एक सितंबर 2022 को पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मंजूरी दी। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को मंजूरी दे दी है। लगभग 1.75 लाख कर्मचारियों को इसका फायदा हुआ है।