बीएसएनके न्यूज डेस्क/ देहरादून। विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल 2022 के दूसरे दिन देहरादून के लोगों ने जमकर सांस्कृतिक संध्या का आनंद लिया। आज के दैनिक कार्यक्रम में पंकज राग द्वारा निर्देशक जयदेव की संगीत यात्रा पर परिचर्चा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित की गई। वही रुचिका केदार द्वारा हिंदुस्तानी वोकल संगीत पर कई प्रस्तुतियां दी गई एवं अनिरुद्ध वर्मा द्वारा हिंदुस्तानी फ्यूजन म्यूजिक बैंड ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
पंकज राग जो भारत के एक जाने-माने कवि हैं एवं वे 1990 बैच के आईएएस अधिकारी भी हैं। पंकज राग ने भारत के कला एवं संस्कृति को सहेज कर रखने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। विरासत में आज उनकी प्रस्तुतियों से मौजूद लोग बहुत प्रसन्न हुए एवं उनके द्वारा जो सहयोग कला और संस्कृति के क्षेत्र में दिया जा रहा है उससे बहुत प्रभावित हुए। निर्देशक जयदेव की संगीत यात्रा पर उनकी जो परिचर्चा रही वह कार्यक्रम में मौजूद लोगों को जयदेव जी के पुरे जीवन काल से परिचय कराया एवं जयदेव जी द्वारा भारत के संगीत एवं कला के क्षेत्र में जो योगदान दिया गया था उसे बताया।
ग्वालियर-जयपुर घराने कि युवा गायक रुचिरा केदार ने अपनी प्रस्तुति हिंदुस्तानी वोकल संगीत पर दी। जिसमें रुचिरा केदार (गायन) मिथिलेश झा (तबला), जाकिर धौलपुरी (हार्मोनियम) पर थे। शो का पहला राग ख्याल रूप में ’रागेश्री में’ उसके बाद एक बंदिश ’आयो जी जीत रामचंद्र’, ’जिनके मन राम बिराजे’ ध्रुव ख्याल में, एक तराना ’राग बसंत’ और ठुमरी के साथ उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी। बताते चले कि रुचिरा केदार का जन्म भोपाल में एक संगीत परिवार में हुआ था और उन्होंने कम उम्र में ही अपने पिता दिलीप काले से संगीत सीखना शुरू कर दिया था।
डॉ अलका देव मारुलकर ने रुचिरा केदार को गायन एवं संगीत की जटिलताओं को सिखाया, उसके बाद उन्हें कोलकाता में आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी में एक आवासीय छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया, जहां उन्होंने अपने वर्तमान गुरु, पंडित उल्हास कशालकर से मुलाकात की और प्रशिक्षण प्राप्त की। विदुषी गिरिजा देवी ने भी उन्हें ठुमरी, दादरा, होरी और कजरी सिखाया। वर्तमान में रुचिरा केदार पुणे विश्वविद्यालय के ललित कला केंद्र में छात्र सलाहकार हैं।
कार्यक्रम का समापन ’हिंदुस्तानी फ्यूजन म्यूजिक बैंड’ के अनिरुद्ध वर्मा द्वारा एक आकर्षक प्रस्तुति के साथ हुआ। अनिरुद्ध वर्मा एक समकालीन पियानोवादक, संगीतकार और निर्माता हैं जिन्होंने अद्वैत, इंडियन ओसियन, परिक्रमा और मृग जैसे बैंड के साथ भी अपनी प्रस्तुति दे चुके है। ’हिंदुस्तानी फ्यूजन म्यूजिक बैंड के कलाकारों में अनिरुद्ध वर्मा पियानो एवं कीबोर्ड, सितार पर सुमित्रा ठाकुर, गिटार पर अभिषेक मित्तल, बॉस पर मधुर चौधरी, तबला पर सप्तक शर्मा, फ्लूट रोहित प्रसन्ना एवं ड्रम पर डिंपल कुमार ने आपनी प्रस्तुति दी वही वोकल कलाकारों में सप्तक चटर्जी, आस्था मंडल, काव्या सिंह, संतूर कुंडू, एवं प्रतीक नरसिम्हा ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में राजेश कुमार श्रीवास्तव,डायरेक्टर एक्सप्लोरेशन ओएनजीसी द्वारा अन्वेषणा ग्रुप के कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया
इस 15 दिवसीय महोत्सव में भारत के विभिन्न प्रांत से आए हुए संस्थाओं द्वारा स्टॉल भी लगाया गया है जहां पर आप भारत की विविधताओं का आनंद ले सकते हैं। मुख्य रूप से जो स्टाल लगाए गए हैं उनमें भारत के विभिन्न प्रकार के व्यंजन, हथकरघा एवं हस्तशिल्प के स्टॉल, अफगानी ड्राई फ्रूट, पारंपरिक क्रोकरी, भारतीय वुडन क्राफ्ट एवं नागालैंड के बंबू क्राफ्ट के साथ अन्य स्टॉल भी हैं।
रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था।
विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है। विरासत 2022 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।