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चमोली गढ़वाल- शिक्षा महकमें की अजब-गजब कार्यप्रणाली के कारण नौनिहालों का भविष्य अंधकार की चपेट मे

बीएसएनके न्यूज / चमोली,उत्तराखंड । जनपद चमोली के देवाल प्रखंड का अंतिम रिहायशी गांव वांण में राजकीय प्राथमिक विद्यालय भिडिंग और राजकीय प्राथमिक विद्यालय वांण अध्यापक विहीन होने के चलते नौनिहालों का भविष्य अंधकारमय होने के कगार पर खड़ा है।

हालांकि आजकल शीतकालीन अवकाश चल रहा है लेकिन शीघ्र ही 16 जनवरी को शीतकालीन अवकाश समाप्त हो जाएंगे और स्कूलों में पठन पाठन सुचारू रूप से शुरू हो जाएंगे लेकिन लगभग 22 सौ भी अधिक जनसंख्या वाले वांण गांव में चार राजकीय प्राथमिक विद्यालयों में से दो विद्यालयों में शिक्षकों की कमी के कारण नौनिहालों का भविष्य अंधकारमय सा बन गया है।

दरअसल ग्राम पंचायत वांण जिले का हिमालयी छोर का विश्व प्रसिद्ध अंतिम रिहायशी गांव है,यहा हर साल आयोजित होने वाले नंदा देवी लोकजात और हर बारह सालों से आयोजित होने वाले हिमालयी कुंभ के नाम से प्रख्यात नंदा देवी राजजात का आखिरी मानवीय आबादी वाला पड़ाव भी है। इस गांव के बाद निर्जन हिमालय का क्षेत्र प्रारंभ हो जाता है तथा इसकी जनसंख्या लगभग 22 सौ से अधिक है।

इस गांव में चार अलग-अलग तोकों के लिए चार प्राईमरी स्कूल संचालित होते हैं। पहले नंबर पर सबसे अधिक 70 छात्र संख्या वाला प्राथमिक विद्यालय वांण,23 छात्र संख्या वाला प्राथमिक विद्यालय भिडिंग, 30 छात्र संख्या वाला प्राथमिक विद्यालय भरांड तथा 18 छात्र संख्या वाला प्राथमिक विद्यालय पैरी-कोरिमा स्थापित हैं।अब शिक्षा विभाग की अजब-गजब कार्य प्रणाली यह है कि भराड और पैरी-कोरिमा स्कूलों को छोड़ कर वांण और भिडिंग के स्कूलों में वर्षों से शिक्षकों का टोटा बना हुआ है।

गांव के सामाजिक कार्यकर्ता हीरासिंह गढ़वाली, अभिभावक संघ अध्यक्ष नरेंद्र सिंह,ग्राम प्रधान पुष्पा देवी, जिला पंचायत सदस्य कृष्णा सिंह बिष्ट, दीवान सिंह, जवाहर सिंह,विजय प्रकाश, सुरेन्द्र सिंह,उर्मिला,उमेद सिंह आदि ग्रामीण बताते हैं कि प्राथमिक विद्यालय भिडिंग में जुलाई 2023 तक एक अध्यापक नियमित रूप से अध्यापन कार्य को संचालित कर रहे थे लेकिन उनका अनिवार्य स्थानांतरण हो गया और उनके स्थान पर किसी शिक्षक की स्थाई तैनाती नहीं की गई जिससे उनके बच्चों का पठन-पाठन रामभरोसे छोड़ दिया गया और आंगनबाड़ी कार्यकत्री के सहयोग से पठन-पाठन जैसे तैसे सुचारू रहा।

बताया कि लगातार शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की गई तो राजकीय प्राथमिक विद्यालय वांण से एक अध्यापक को व्यवस्था पर भिडिंग स्कूल में भेज दिया गया लेकिन इससे भिडिंग स्कूल के बच्चों को गुरूजी तो मिल गए परंतु 70 छात्र संख्या वाले विद्यालय वांण में एक ही शिक्षक रह गया जिस कारण वहां के छात्र छात्राओं के पठन-पाठन पर भी इस अजब-गजब कार्य प्रणाली से प्रभावित होना ही था जबकि वांण स्कूल में नियमानुसार तीन शिक्षक-शिक्षिकाओं की तैनाती होनी चाहिए थी जबकि वहां भी दो ही शिक्षक कार्यरत थे लेकिन जो स्कूल पहले से ही छात्र संख्या को देखते हुए दो ही शिक्षकों से संचालित हो रहा था।

उस स्कूल से फिर एक अध्यापक को अध्यापक विहीन राजकीय प्राथमिक विद्यालय भिडिंग में व्यवस्था पर भेज दिए गए,अब भिडिंग स्कूल के बच्चों को जैसे तैसे गुरु जी तो मिल गए परंतु राजकीय प्राथमिक विद्यालय वांण के छात्र छात्राओं से एक गुरु जी छीन लिए गए है न शिक्षा महकमें की यह अजब-गजब कार्य प्रणाली।

वांण गांव के सामाजिक कार्यकर्ता हीरासिंह गढ़वाली ने बताया कि उनके विकास खंड में छात्र संख्या के कम होने के कारण राजकीय प्राथमिक विद्यालय पोखरीगाड़ को बंद कर दिया गया था और वहां के शिक्षक को अध्यापक विहीन विद्यालय भिडिंग में तैनात किया जा सकता था लेकिन शिक्षा महकमें ने ऐसा नहीं करते हुए जहां 70 छात्र छात्राओं की संख्या वाले विद्यालय में पहले से ही एक शिक्षक का अकाल था उसी स्कूल से फिर एक शिक्षक को कम करके भिडिंग के स्कूल में व्यवस्था पर भेजकर ऐसी अजब-गजब कार्य प्रणाली से दोनों विद्यालयों के छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

भिडिग स्कूल के कुमारी रोशनी और मोहित आदि छात्र छात्राओं से बातचीत करते हुए उन्होंने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि बिना गुरूजी के वह पढ़ नहीं पा रहे हैं और जुलाई से बिना गुरु जी के वह ऐसे ही पढ रहे हैं। बच्चों ने कहा कि हालांकि एक गुरु जी व्यवस्था पर हमको पढ़ाने आ रहें हैं लेकिन हमको अस्थाई गुरुजी की आवश्यकता है।

नन्हे मुन्ने बच्चों ने भी दुःख जताया कि हमारे गांव के दूसरे स्कूल से हमको व्यवस्था पर पढ़ाने आए गुरुजी तो मिल गए हैं लेकिन हमारे दूसरे स्कूल के भाई बहनों का पठन-पाठन भी तो प्रभावित हो रहा होगा बच्चों ने दुखी मन से कहा कि हम अपनी पढ़ाई सुचारू होने से खुश तो हैं लेकिन हमारे दूसरे स्कूल के भाई बहिनों के लिए दुखी भी कि उनसे एक गुरुजी छिन गए। बच्चे कहते हैं इसलिए हमको अपने स्कूल के लिए अस्थाई गुरुजी ही चाहिए ताकि दोनों स्कूलों के भाई बहिनों की पढ़ाई में कोई परेशानी नहीं होने पाएं।

अवकाश पर चले रहे खंड शिक्षा अधिकारी के अनुपस्थिति में कार्यभार देख रहे बीआरसी प्रभारी लक्ष्मी प्रसाद जोशी ने यह पूछे जाने पर कि बंद हो गए स्कूल पोखरीगाड़ के रिक्त शिक्षक को प्राथमिक विद्यालय भिडिंग में तैनात क्यों नहीं किया गया तो उन्होंने दूरभाष पर बताया कि यह समस्या उनके संज्ञान में है और शिक्षकों की कमी के कारण ऐसी स्थितियां बन रही हैं और बताया कि जो शिक्षक स्कूल बंद होने से रिक्त चल रहे थे।

उनके खराब स्वास्थ्य के कारण उनको नजदीकी स्कूल में तैनात किया गया है इसलिए भिडिग स्कूल में वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि संभवतः फरवरी माह तक प्रदेश में नए शिक्षकों की भर्ती हो सकती है तो तब स्कूलों में शिक्षकों की कमी को भरा जा सकता है। लेकिन उससे पहले उन्होंने आश्वासन दिया है कि 16 जनवरी को शीतकालीन अवकाश समाप्त होने पर भिडिंग स्कूल या वांण स्कूल में एक शिक्षक की व्यवस्था कर दी जाएगी।

यह जानकारी जब ग्रामीणों को दी गई तो ग्रामीणों ने कहा अब यह तो भविष्य के गर्भ में है कि शिक्षा विभाग अपनी कार्यप्रणाली में कितना सुधार करता है और वह अपने वायदे पर कितना खरा उतरता है यह आने वाले समय में देखने को मिलेगा साथ ही सभी ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि शिक्षा विभाग जरूर उनके विद्यालयों में रिक्त चल रहे शिक्षकों की तैनाती करके उनके और उनके नौनिहालों पर बड़ा उपकार करेंगे।

रिपोर्ट-सुरेन्द्र धनेत्रा,स्थानीय संपादक