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अगर महिलाएं पीरियड्स की इस समस्या से है परेशान तो न करें इग्नोर

women are troubled by this problem of periods then do not ignore it

बीएसएनके न्यूज / हेल्थ डेस्क। महिलाओं में होने वाले प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की समस्या को नजरअंदाज करना कई गंभीर रोगों को दावत दे सकता है। इससे कम उम्र में ही पीरियड्स बंद होने की दिक्कत हो सकती है।

महिलाओं में पीरियड्स का चक्र सही रहना बेहद जरूरी होता है। अगर मेंस्ट्रुअल साइकिल सही न हो तो पीसीओएस जैसी समस्या हो सकती है, जिसकी अनदेखी करना कई बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम की वजह बन जाती है। लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत अमूमन 12 से 14 साल की उम्र के बीच में हो जाती है। वहीं मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति की (पीरियड पूरी तरह बंद होने की अवस्था) उम्र 46 साल से लेकर 50 से 55 तक के बीच की मानी गई है, लेकिन कुछ अध्ययन कहते हैं कि प्रीमेट्रुअल सिंड्रोम की वजह से तय उम्र से पहले ही पीरियड बंद होने की समस्या हो सकती है।

प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षणों पर ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। नहीं तो यह समस्या भविष्य में कई परेशानियां खड़ी कर सकती है और महिलाओं में कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स होने का जोखिम बढ़ जाता है।

क्या होती हैं प्रीमेस्ट्रुइल सिंड्रोम की वजह – वैसे तो इसके कारणों पर ज्यादा सटीक रिसर्च देखने को नहीं मिलती हैं, लेकिन महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने का संबंध जैविक और मनोवैज्ञानिक हो सकता है। यह समस्या आम तौर पर 20 से 40 वर्ष के बीच की उन महिलाओं में पाया जाता है जो मां बन चुकी हों या फिर जिनके परिवार में अवसाद की हिस्ट्री रही हो।

प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम यानी पीएमएस के लक्षणों को न करें इग्नोर – पीएमएस की समस्या होने पर शारीरिक के साथ ही मानसिक समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं। इस सिंड्रोम में एड़ियों और पैरों में दर्द, पीठ दर्द, पेडू यानी पेट के निचले हिस्से में ऐंठन-भारीपन, एक्ने, वजन बढ़ना जैसी दिक्कतें देखी जा सकती हैं। वहीं बैचेनी महसूस होना,भूलने की समस्या, गुस्सा, चिड़चिड़ापन यानी मूड स्विंग जैसे मानसिक लक्षण देखने को मिलते हैं।

कैसे करें बचाव – प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लिए वैसे तो फिजिकल एग्जामिनेशन टेस्ट नहीं होता है लेकिन इन लक्षणों की पहचान करके और पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री से इस बीमारी के बारे में पता लगाया जा सकता है। बात करें पीएमएस से बचाव की तो इसके लिए न्यूट्रिशन की सलाह से डाइट में बदलाव करने के साथ ही कुछ सप्लीमेंट्स का सेवन करना सही रहता है। इसके अलावा डाइट से ज्यादा नमक, चीन, कैफीन,अल्कोहल को कम कर देना चाहिए।