बीएसएनके न्यूज / देहरादून डेस्क। पेनेशिया अस्पताल देहरादून ने अपने नेहरू कॉलोनी अस्पताल में आज विश्व स्ट्रोक दिवस के अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया, इस गोष्ठी में वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. संजय चौधरी एमबीबीएस,एमएस (जनरल सर्जरी ) डीएनबी( न्यूरो सर्ज़री), कंसलटेंट ब्रेन एंड स्पाइन सर्जन ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए स्ट्रोक से संबंधित सभी बीमारियों के ऊपर चर्चा की और इसके लक्षण सहित सभी बिंदुओं को विस्तार से वर्णन दिया।
उन्होंने कहा हृदयाघात (हार्ट अटैक) की तरह स्ट्रोक भी एक गंभीर बीमारी है। भागदौड़ भरी जीवन शैली और स्वास्थ्य के प्रति ध्यान नहीं देने से मस्तिष्क घात के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बुजुर्गों के साथ युवाओं में भी यह समस्या बढ़ रही हैं। लोगों को स्ट्रोक के बारे में जागरूक करने और समय पर उपचार कराने केउद्देश्य से हर साल 29 अक्टूबर को विश्व स्ट्रोक दिवस मनाया जाता है। स्ट्रोक, मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति की बाधा के कारण होता है।
यह आक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति में कटौती करता है। व्यक्ति किसी तरह अपने रक्त संचार को नियंत्रित कर ले तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। इसकेलिए खानपान में विशेष ध्यान देना चाहिए। स्ट्रोक किसी भी उम्र के व्यक्ति को किसी भी समय हो सकताहै । मस्तिष्क की कोशिकाओं में ऑक्सीजन नहीं मिलने से ये मर जाती हैं और जिस कारण व्यक्ति याददाश्त खोने लगता है। धूमपान, तंबाकू का सेवन, संतुलित खानपान के प्रति गंभीर नहीं होना,मोटापन, शराब का सेवन करने से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्राल, हृदय रोग, दिमाग में जा रही धमनियों में कोलेस्ट्रोल जमा होने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है।
उपचार की जगह बचाव पर अधिक बल दें:
डॉ. संजय चौधरी ने बताया स्ट्रोक के उपचार की जगह इससे बचाव पर अधिक बल देने की जरूरत है। स्ट्रोक आने पर दिमाग में खून की सप्लाई रुक जाती है। इससे ब्रेन सेल्स को काफी नुकसान पहुंचता एवं कभी-कभी तो ब्रेन सेल्स मर भी जाते है। जिससे पैरालिसिस एवं गंभीर स्थिति में मृत्यु भी हो सकती है। अत्यधिक धूम्रपान, शराब का सेवन एवं खराब जीवन-शैली स्ट्रोक के कारण होते हैं। संतुलित जीवन शैली को अपनाकर स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या से बचा जा सकता है।
विगत कुछ सालों में नवयुवक भी स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। किशोरवस्था बदलाव का समय होता है जिसमें शारीरिक एवं मानसिक विकास काफ़ी तेजी से होता है। इस दौरान खराब जीवन शैली, धूम्र-पान एवं शराब सेवन जैसी आदतों से बचने की जरूरत होती है।
बेहतर जीवन शैली एवं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होकर स्ट्रोक से बचा जा सकता है। विश्व में एक साल में लगभग 1.45 करोड़ लोग स्ट्रोक से ग्रसित होते हैं। 90 प्रतिशत स्ट्रोक के मामलों में बचाव संभव हैं। बेहतर जीवन शैली एवं शराब सेवन से दूरी बनाकर स्ट्रोक से बचा जा सकता है।
शुरूआती लक्षणों से बचाव में आसानी: स्ट्रोक एक जटिल मेडिकल समस्या है। लेकिन स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों के आधार पर इससे बचाव संभव है। चेहरे का एक तरफ मुड़ने लगना, किसी एक बांह में दर्द का होना, आवाज लड़खाड़ने लगना या बोलने में तकलीफ होना यदि ऐसे लक्षण दिखाई दें तब तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।
स्ट्रोक के प्रकार: इस्केमिक स्ट्रोक : यह स्ट्रोक मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाले रक्त वाहिका में बाधा के परिणामस्वरूप होते हैं। रक्त प्रवाह में बाधा रक्त के थक्के के रूप में पैदा कर सकता है। इसे सेरेब्रल थ्रोम्बोसिस कहा जाता है। सेरेब्रल थ्रोम्बोसिस का मुख्य कारण रक्त वाहिकाओं और धमनियों (एथेरोस्क्लेरोसिस) में वसा का जमना होता है।
रक्तस्रावी स्ट्रोक : रक्तस्रावी स्ट्रोक तब होता है जब एक कमजोर रक्त वाहिका टूट जाती है और मस्तिष्क में खून बहता है। रक्त बहाव आसपास के मस्तिष्क के ऊतकों पर दबाव बनाता है। इससे गंभीरता बढ़ जाती है। यदि सही समय पर चिकित्सकीय सेवा नहीं ली जाए तब यह जानलेवा हो जाती है।
स्ट्रोक से बचाव के उपाय: उच्च एवं अत्यधिक कम रक्त दबाव स्ट्रोक के कारण होते हैं। इसे नियंत्रित रखें। अत्यधिक मोटापा को कम करें व शरीर में वसा संग्रहण नहीं होने दें। नियमित व्यायाम करें। धूम्रपान एवं शराब सेवन से परहेज करें। अत्यधिक वसा वाले खाने से दूर रहें। लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
इस गोष्ठी में पेनेशिया अस्पताल देहरादून की ओर से.रणवीर सिंह चौहान, शुभम चंदेल, विक्रम रावत, विकास रावत , रोहित चंदेल , डॉ. संजय चौधरी, डॉ. अविरल डोभाल, डॉ. शरण्या, डॉ. सुनील भट्ट, डॉ. जावेद, डॉ. भूमिका, डॉ. पारुल भांबरी, उपस्थित रहें।