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पर्यावरण शिक्षा पर बल देने वाली पुस्तक ’ऐन्वायर्नमेंटल स्टडीज़ः फ्रॉम क्राइसिस टू क्योर’ का विमोचन

Release of the book 'Environmental Studies: From Crisis to Cure' emphasizing on environmental education

Release of the book 'Environmental Studies: From Crisis to Cure' emphasizing on environmental education
Release of the book 'Environmental Studies: From Crisis to Cure' emphasizing on environmental education

बीएसएनके न्यूज / देहरादून डेस्क। पर्यावरणीय मुद्दों पर तत्काल कदम उठाने की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन डॉ एम. जगदीश कुमार ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित नवीन पुस्तक ’ऐन्वायर्नमेंटल स्टडीज़ः फ्रॉम क्राइसिस टू क्योर’ का दिल्ली में विमोचन किया। इस पुस्तक को आईआईटी मद्रास के पूर्व शिक्षक प्रोफेसर आर. राजागोपालन ने लिखा है, यह किताब बैस्टसैलर है और इसे व्यापक तौर पर पर्यावरणीय अध्ययन के लिए बुनियादी संसाधन माना जाता है।

यह किताब अभी अपने चौथे संस्करण में है और यह नई शिक्षा नीति 2020 के तहत विकसित पर्यावरण शिक्षा हेतु विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशानिर्देश और पाठ्यक्रम रूपरेखा 2023 को पूरी तरह अपने दायरे में लेती है। यह पुस्तक उस तरीके को नया आकार देने का प्रयास करती है जिससे विद्यार्थी पर्यावरण पर विचार करते व उसके साथ जुड़ते हैं।

दिल्ली में हुए इस बुक लांच में डॉ कुमार ने बढ़ती पर्यावरणीय चिंताओं के समाधान हेतु यूजीसी की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि इस पर तत्काल ध्यान दिए जाने और मिलजुल कर प्रयास करने सख्त जरूरत है। उन्होंने इस पर भी प्रकाश डाला कि यूजीसी देश भर में उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में पर्यावरणीय शिक्षा और संवहनीय अभ्यासों को शामिल करने के लिए सक्रियता से काम रहा है।

डॉ कुमार ने युवा पीढ़ी को सशक्त बनाने की अहमियत पर बल दिया, उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे जिम्मेदारी और लगन के साथ पर्यावरण की बेहतरी में संलग्न हों। यह किताब बारीकी से कोर्स के उद्देश्यों से जुड़ी है, यह एक उत्प्रेरक का कार्य करती है, यह न केवल पर्यावरणीय जागरुकता को पोषित करती है बल्कि पाठकों के बीच संरक्षण एवं संवहनीय विकास अभ्यासों के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ावा देती है।

यह किताब जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केन्द्रित करती है जो कि हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौती है। इसमें नई सामग्री भी शामिल की गई है जैसे जलवायु अनुकूलन, सर्कुलर अर्थव्यवस्था, आपदा प्रबंधन तथा सरकार का ’लाइफस्टाईल फॉर द ऐन्वायर्नमेंट मूवमेंट’, जिसका लक्ष्य है पर्यावरणीय जागरुकता को बढ़ावा देना।

Release of the book 'Environmental Studies: From Crisis to Cure' emphasizing on environmental education
Release of the book ‘Environmental Studies: From Crisis to Cure’ emphasizing on environmental education

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस इंडिया के प्रबंध निदेशक सुमंता दत्ता ने कहा, ’’ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस में हम दुनिया भर के विद्यार्थियों एवं शोधकर्ताओं के बीच सामाजिक एवं पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरुकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा लक्ष्य है भावी पीढ़ियों को शिक्षित करने के लिए प्रकाशन की शक्ति का सदुपयोग करना,आलोचनात्मक सोच व जानकारीपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ावा देना तथा सकारात्मक एवं दीर्घकालिक बदलाव को आगे बढ़ाना। प्रधानमंत्री के ध्येय ’लाइफस्टाईल फॉर द ऐन्वायर्नमेंट’ को दोहराते हुए यह पुस्तक व्यक्तिगत एवं सम्मिलित प्रयासों को प्रोत्साहित करती है जिनसे पर्यावरण की सुरक्षा व संरक्षण हो सके।

सुमंता ने कहा, ’’बतौर प्रकाशक हम अपनी विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला के प्रभावों को घटाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं जिनमें शामिल हैं- कागज निर्माण, प्रिंटिंग और परिवहन – इसके साथ ही डिजिटल पब्लिशिंग का पर्यावरण पर असर भी न्यूनतम कर रहे हैं। इस पुस्तक विमोचन के साथ ही इस मौके पर एक पैनल चर्चा भी हुई जिसका शीर्षक था ’ऐन्वायर्नमेंटल ऐजुकेशन एंड ह्यूमैनिटी’ज़ ऐथिकल स्ट्यूवर्डशिप’। इस चर्चा के केन्द्र में थी पर्यावरण शिक्षा की अहम भूमिका जो वह हमारे ग्रह के संसाधनों के विवेकपूर्ण इस्तेमाल के बारे में मानवता के नैतिक दृष्टिकोण को आकार देने में निभाती है।

इस पैनल चर्चा में जानेमाने व्यक्ति शामिल थे जैसे कि नितिन सेठी, पत्रकार व द रिपोटर्स कलेक्टिव के संस्थापक सदस्य; दीपांकर सहारिया, वरिष्ठ निदेशक, द ऐनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट; और भारत के अग्रणी पर्यावरणविदों में से एक विमलेन्दु झा। इस पैनल चर्चा का समन्वय द इकॉनॉमिक टाइम्स की सहायक संपादक उर्मी गोस्वामी द्वारा किया गया।