बीएसएनके न्यूज डेस्क / चमोली,उत्तराखंड। जिला मुख्यालय के आसपास विभिन्न गांवों में लीलियम की खेती काश्तकारों की आय का साधन बनने लगा है,जिससे अन्य क्षेत्रों के काश्तकारों में भी लीलियम की खेती करने का उत्साह देखने को मिल रहा है।
उद्यान विभाग की ओर से जिला योजना के अंतर्गत पायलट प्रोजेक्ट के रुप में शुरु की गई योजना के बेहतरीन परिणाम से विभागीय अधिकारियों के साथ ही काश्तकार काफी उत्साहित हैं।
चमोली में उद्यान विभाग ने जिला मुख्यालय के आसपास के मंडल, रौली,कोटेश्वर,खल्ला,बैरांगना, सगर व गंगोलगांव के 10 काश्तकारों के 16 पाॅली हाऊसों में फरवरी माह में लीलियम के 25 हजार बल्ब रोपित कर पायलेट प्रोजेक्ट शुरु किया था। काश्तकारों के पाॅली हाऊस में अब लीलियम के फूल विपणन के लिये तैयार हो गये हैं। जिनके विपणन के लिये उद्यान विभाग की ओर से देहरादून,हल्द्वानी और दिल्ली की मंडियों से खरीदारों का काश्तकारों से सीधा संपर्क करवा कर विपणन की व्यवस्था बनाई गई है।
जिससे काश्तकारों को लिलियम के फूलों के विपणन में आसानी हो रही है। वर्तमान तक जहां काश्तकार 40 से 50 रुपये प्रति स्टिक की कीमत से एक हजार स्टीक का विपणन कर चुके हैं तो वहीं खेतों में करीब 22 हजार स्टिक विपणन के लिये तैयार हो गई हैं। मुख्य विकास अधिकारी डॉ ललित नारायण मिश्रा ने बताया कि ने बताया कि काश्तकार को 5 रुपये की लागत पर लीलियम के बल्ब उपलब्ध कराये गये थे जबकि लीलियम के एक स्टिक की काश्तकार को खेत में 40 से 50 रुपये कीमत मिल रही हैं जिससे काश्तकारों की आय में वृद्धि हो रही है।
उद्यान अधिकारी चमोली तेजपाल सिंह ने बताया कि काश्तकारों के पास वर्तमान में जितने लीलियम की उपज खड़ी है उससे काश्तकारों को 8 लाख तक की आय होने का अनुमान लगाया है।
चमोली में पायलेट प्रोजेक्ट के रुप में शुरु किये लीलियम के उत्पादन के बेहतरीन परिणाम मिल रहे हैं ऐसे में जिले के अन्य क्षेत्रों के काश्तकार भी अब लीलियम के उत्पादन में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। जिस तरह विभागीय अधिकारियों द्वारा लीलियम के फूलों के विपणन के लिये देश के विभिन्न मंडियों से खरीदारों से संपर्क कर काश्तकारों तक पहुंचाया जा रहा है उससे काश्तकारों को उनके उत्पादों के विपणन में होने वाली दिक्कतों का भी समाधान किया गया है।
रिपोर्ट — सुरेन्द्र धनेत्रा,स्थानीय संपादक