बीएसएनके न्यूज / चमोली डेस्क। जनपद चमोली के दूरस्थ क्षेत्रों में जन समस्याओं का अंबार लगा हुआ है जिस कारण यहां के नौनिहालों और आम जनता की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
बात करते हैं जनपद के अंतिम छोर के विकास खंड देवाल के कुलिंग ग्राम पंचायत की,यह गांव हिमालयी पहाड़ों और सुरम्य बुग्यालों के छोर पर बसा हुआ है,इसके बाद अंतिम रिहायशी गांव वांण पड़ता है जहां के लोगों का का जीवन-यापन बहुत ही मुश्किलों भरा होता है एक ओर जहां इन क्षेत्रों में साल भर देश विदेश के पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है जिससे यहां के अधिकांश लोगों की रोजी-रोटी चलती है तो वहीं आवागमन के लिए अच्छी सड़कों का नहीं होना और या तो यहां पहुंचने के लिए सड़कें ही नहीं हैं।
इन्हीं समस्याओं से कुलिंग गांव के ग्रामीण भी जूंझ रहे हैं।दरअसल कुलिंग गांव के ग्राम प्रधान हुकमसिंह,गोविन्द सिंह बिष्ट, महिपत सिंह,हरेंद्र सिंह, लक्ष्मण सिंह,नंदन सिंह, महिला मंगल दल अध्यक्ष पुष्पा देवी,धर्मा देवी,गौरी देवी,गीता देवी,मानुली देवी,बसंती देवी आदि ग्रामीणों ने बताया कि सन् 2018 में उनके गांव के नीचे भारी भूस्खलन होने के कारण उस समय लोगों की मकाने धंसने से खतरा उत्पन्न हो गया था ।
और स्कूल भवन में भी भूस्खलन से दरारें पड़ गई थी तब शासन प्रशासन ने गांव को विस्थापित करने की प्रक्रिया को अमल में लाते हुए गांव के 82 परिवारों में से भूस्खन की जद में आए 65 चिन्हित परिवारों को गांव से छः किलोमीटर दूर दिदना तोक में विस्थापित करते हुए बसा तो दिया लेकिन ग्रामीण कहते हैं कि आज भी उनके यहां के लिए स्वीकृत मोटर सड़क पर आजतक सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो पाई हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि उनके बच्चों को हर रोज स्कूल में पठन पाठन के लिए ख़तरनाक जंगली जानवरों वाले जंगल,पहाड़ों और बरसाती नालों को पार करते हुए छः किलोमीटर दूर अपने पुराने गांव कुलिंग आना जाना पड़ता है जिससे उनको उनके बच्चों की चिंता सताती रहती है। स्कूल के नन्हीं छात्राओं मनीषा और ममता ने बताया कि एक तो वह इतनी दूर से जान जोखिम में डालकर स्कूल आते हैं और दूसरी तरफ भूस्खन के कारण उनकी स्कूल भवन में भी जगह-जगह दरारें पड़ने के कारण उनको हर समय दहशत में पढ़ाई करनी पड़ती है कहतीं हैं कि बरसात के समय तो वह कई दिनों तक स्कूल भी नहीं आ पाते हैं।
क्योंकि नदी नालों में बरसात का पानी उफ़ान पर रहता है और जब गधेरों का पानी कम होने पर वह स्कूल पहुंच भी जाते हैं तो विद्यालय भवन की दरारें उनको हर समय डराते रहते हैं।अपने दुखड़े को बताते हुए एक बुजुर्ग महिला कस्तुरा देवी तो फफक-फफक कर रोने ही लगती हैं वे कहतीं हैं कि कई बार उनके बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं बीमार हो जाते हैं तो उनको डंडी कंडी या स्ट्रेचर के सहारे अस्पताल ले जाना पड़ता है और कई बार तो बीमार लोग मोटर मार्ग के अभाव में रास्ते में ही दम तोड देते हैं।
कुलिंग गांव के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने शासन प्रशासन के दिशानिर्देश पर स्कूल भवन,पंचायत भवन और आंगनबाड़ी भवन के लिए अपनी जमीन का सरकार के नाम रजिस्ट्री भी कर दी हैं लेकिन अभी तक इनके निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत ही नहीं हो पाई है। दूसरी तरफ उनके लिए स्वीकृत मोटर सड़क पर कई बार स्थलीय निरीक्षण तो किए जाते हैं परन्तु स्थाई समाधान होने के कहीं नजदीक-नजदीक आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उनके गांव में हर दिन दो सौ से भी अधिक पर्यटक होमस्टे का आनंद लें सकते हैं लेकिन बिना सड़क के पर्यटक उनके गांव तक नहीं पहुंच पा रहे हैं जिससे उनकी रोजी-रोटी पर भी बुरा असर पड़ रहा है।ग्रामीणों ने चेतावनी देते हुए शासन प्रशासन से मांग की है कि उनकी स्कूल और मोटर मार्ग की गंभीर समस्याओं का शीघ्रता से समाधान किया जाए अन्यथा उनको आंदोलन का सहारा लेने के लिए विवश होना पड़ सकता है।
रिपोर्ट-सुरेन्द्र धनेत्रा,स्थानीय संपादक