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उत्तराखण्ड नशाखोरी की जद में, सरकारी महकमों के कई कर्मचारी भी ड्यूटी टाईम में नशे से अछूते नही

बीएसएनके न्यूज डेस्क / देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश को 2025 तक नशा मुक्त बनाने की बात जहाँ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कही जाती रही है वहीं राज्य में नशावृत्ति का आलम यह है कि यहाँ सरकारी विभागों के कर्मचारी व अधिकारी तक नशे में अपनी ड्यूटी बजा रहे है।

पिछले दिनों राज्य की राजधानी देहरादून के रायपुर क्षेत्र में एक चिकित्सक को शराब के नशे मेें पाया गया था वही एक बार फिर पौड़ी जिले के एक विघालय में व्यायाम का शिक्षक नशे में पहुंच कर हंगामा करता मिला। जिसका वीडियों सोशल मीडिया में जारी होने के बाद अब विभाग उसके खिलाफ कार्यवाहीं की बात कह रहा है।

उत्तराखण्ड में नशा इतने अधिक चरम पर पहुंच चुका है कि अब उसकी रोकथाम के लिए सरकार को कड़े प्रयास करने होगें। राज्य के सरकारी महकमों में अगर नजर दौड़ाई जाये तो यहाँ अधिकतर हर विभाग में नशे के आदी लोग मिलना आम बात है। हैरत की बात यह है कि सरकार एक तरफ राज्य को 2025 तक नशा मुक्त बनाये जाने की बात कह रही है वहीं दूसरी ओर उसके ही सरकारी कर्मचारी उसके नशा मुक्त उत्तराखण्ड बनाये जाने की बात को झूठा साबित करने में जुटे हुए है।

बीते कुछ समय पूर्व राज्य की राजधानी देहरादून के रायपुर स्थित एक सरकारी अस्पताल में एक डाक्टर नशे में धुत्त पाया गया। जिसका वीडियो सोशल मीडिया में जारी हुआ तो विभाग द्वारा उक्त चिकित्सक को हटा दिया गया। यह तो राज्य की राजधानी की बात है जहाँ मुख्यमंत्री से लेकर डीएम तक मौजूद है। ऐसे में पहाड़ों का आलम क्या होगा।

यह सोशल मीडिया में जारी एक अन्य वीडियों में सामने आ रहा है। वीडियों में दिख रहा एक व्यक्ति नशे में धुत्त है और वह हंगामा करता नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि यह वीडियों चौबटटाखाल विधानसभा के बीरोखाल ब्लॉक का है। यहाँ राजकीय उच्चतर माध्यमिक विघालय में सहायक अध्यापक शराब के नशे में विघालय पहुंचा और हंगामा काटने लगा।

मामले की जानकारी जब शिक्षा विभाग को मिली तो अब विभाग इस पर कार्यवाहीं की बात कर रहा है। बताया यहां तक जा रहा है कि यह शिक्षक पूर्व में भी ऐसे ही शराब के नशे में विघालय में हंगामा काट चुका है जिसके कारण उस पर विभागीय कार्यवाही भी हो चुकी है। देखना होगा कि अब शिक्षा विभाग इस पर क्या और कब तक कार्यवाही करता है।