नीति सन्देश। एक गांव में लकड़हारा पत्नी और बेटे के साथ रहता था। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। वह कड़ी मेहनत करता, लेकिन बहुत ज्यादा धन कमा नहीं पाता था। एक दिन लकड़हारे के घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया। पिता ने बेटे से कहा कि जाकर देखो कौन आया है।
लड़के ने दरवाजा खोला तो बाहर चार साधु खड़े थे। साधुओं ने कहा कि हमारे नाम श्रम, सफलता, धन और वैभव है। हमें भूख लगी है, क्या आपके यहां भोजन मिल सकता है?
लड़के तुरंत दौड़कर अपने पिता के पास पहुंचा और पूरी बात बताई। पिता ने कहा कि चारो साधुओं को अंदर बुला लो, हम उन्हें खाना खिला देंगे।
लड़का दरवाजे के पास पहुंचा और बोला आप चारों अंदर आ जाइए, हम आपको खाना खिला देंगे। संतों ने कहा कि बेटा, हम चारों में से कोई एक ही आपके घर में आ सकता है। आप जिसे अपने घर में बुलाएंगे, वह संत उसके गुण लेकर आपके घर में आएगा। जिससे तुम्हारा जीवन बदल सकता है।
लड़के ने पिता को ये बात बताई। अब पति-पत्नी और बच्चा तीनों सोचने लगे कि घर में किसे खाने पर बुलाना चाहिए?
पत्नी ने कहा कि हमें धन को बुलाना चाहिए। पति ने कहा कि हमें सफलता को बुलाना चाहिए। बच्चे ने कहा कि हम मेहनत करते हैं, इसीलिए हमें श्रम को खाने पर बुलाना चाहिए। पति-पत्नी बच्चे की बात पर राजी हो गए।
बच्चे तुरंत दरवाजे पर पहुंचा और श्रम नाम के संत को खाने पर बुला लिया। जैसे ही श्रम नाम के संत ने उनके घर में प्रवेश किया, बाकी तीनों संत भी घर में आ गए। ये देखकर लड़के ने कहा कि आप तो बोल रहे थे कि हम में से कोई एक ही घर में आ सकता है, अब आप श्रम के साथ ही तीनों संत अंदर क्यों आ रहे हैं?
संतों ने कहा कि अगर आप धन, सफलता और वैभव में से किसी एक बुलाते तो एक ही संत आपके घर आता, लेकिन आपने श्रम को बुलाया है। श्रम के साथ धन, सफलता और वैभव भी आ जाते हैं। जो लोग श्रम करते हैं, उन्हें सफलता, धन और वैभव यानी मान-सम्मान जरूर मिलता है।