न्यूज डेस्क / देहरादून। भारत में वर्तमान में दुनिया में सबसे अधिक 27 लाख क्षय रोग के रोगी हैं, और इस रोग से देश में हर साल चार लाख 21 हजार लोगों की मौत होती है। विश्व क्षय रोग दिवस 2021 की थीम है – ʺद क्लॉक इज टिकिंगʺ‚ जो इस तथ्य की ओर इशारा करती है हमारी दुनिया क्षय रोग के प्रकोप के विस्फोट के मुंहाने पर खडा है और दुनिया के अग्रणी देशों को क्षय रोग के खात्मा के लिए तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है अन्यथा स्थिति भयावह हो सकती है। क्षय रोग के चौंकाने वाले स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस वैश्विक महामारी को समाप्त करने के प्रयासों को भी बढ़ावा देने के लिए हर साल, 24 मार्च को विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है।
क्षय रोग दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है। दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी और एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा होने के कारण, क्षय रोग के कारण4000 से अधिक लोग अपनी जान गंवाते हैं और लगभग 30,000 लोग हर दिन बीमार पड़ जाते हैं। भारत में 26 लाख40 हजार क्षय रोग रोगियों के होने का अनुमान है, और इस तरह भारत में दुनिया भर में क्षय रोग के सबसे अधिक रोगी हैं और यह बीमारी हमारे देश के सामने सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है। क्षय रोग के कारण हर साल लगभग 421,000 भारतीय की मौत हो जाती है। वास्तव में शरीर में कम इम्युनिटी और कोविड के बढ़ते मामलों के कारण इसके मामले और बढ़ गए हैं और कोविड के बाद और अधिक से अधिक पाया जा रहा है।
देश भर में क्षय रोग के बढ़ते मामलों के बारे में चिंता जाहिर करते हुए, मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ वैभव चाचरा ने कहा, “क्षय रोग से निपटने के वैश्विक प्रयासों ने वर्ष 2000 से करीब 5 करोड़ 80 लाख लोगों की जान बचाई है। एक सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरे के रूप में क्षय रोग का अंत करने और 2015 की तुलना में 2035 तक क्षय रोग के मामलों और मृत्यु दर को क्रमशः 90% और 95% कम करने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
इस बीमारी का अंत क्षय रोग के मामलों की पहचान और उपचार के निरंतर प्रयासों से ही संभव है। और हम यहां मैक्स अस्पताल में लगातार इस महामारी से जूझने और इसे जड़ से खत्म करने के लिए समर्पित हैं। इस वर्ष के विश्व क्षय रोग दिवस की थीम इस तथ्य पर प्रकाश डालती है कि समय समाप्त हो रहा है और हमें क्षय रोग के प्रसार से निपटने के लिए तेजी से कार्य करने की आवश्यकता है।
कोविड-19 और क्षय रोग के बारे में जैसे–जैसे जानकारी बढ़ रही है और इस पर अध्ययन भी किए जा रहे हैं, शुरुआती प्रमाण पहले से ही यह सुझाव देने लगे हैं कि ऐसे रोगियों में जिनमें क्षय रोग के लक्षण नहीं हैं परन्तु निष्क्रिय (डोरमेंट) क्षय रोग है उनमे कोरोनोवायरस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है और उनमें गंभीर कोविड-19 निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही साथ कवीड – 19 के बाद क्षय रोग होने की सम्भावना इम्युनिटी कम होने के कारण बड़ जाती है।
कोविड -19 परिदृश्य में संवर्धित सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए, पल्मोनोलॉजी के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ पुनीत त्यागी ने कहा, “कोविड और लॉकडाउन प्रतिबंधों ने राष्ट्रीय स्तर पर और दुनिया भर में क्षय रोग निगरानी रणनीतियों को काफी प्रभावित किया है।
क्षय रोग रोगियों के उपचार में देरी के कारण, उनकी स्थिति और खराब हो गई है, और इसलिए अब और अधिक व्यापक प्रबंधन किए जाने की आवश्यकता है। लॉकडाउन और अनियमित उपचार के कारण इन क्षय रोग रोगियों में मल्टीड्रग रेजिस्टेंस भी विकसित हो गए और इसकी वजह से सुपर एडेड सेकेंडरी इन्फेक्शन भी हो गया या वे प्रतिरक्षा को प्रभावित करने वाली बीमारियों के कारण वे आसानी से कोविड का शिकार हो गए। क्षय रोग के रोगियों को खोजना और उनका इलाज करना एकमात्र तरीका है जिससे क्षय रोग की रोकथाम की जा सकती है और धीरे-धीरे इसे खत्म किया जा सकता है। क्षय रोग रोगियों के टेलीकंसल्टेशन से न केवल ट्रैकिंग में मदद मिलेगी बल्कि यह सुनिश्चित होगा कि वे अपने उपचार प्रोटोकॉल का पालन करें।
डॉक्टरों के अनुसार, नीचे दिए गए सुझाओं का सख्ती से पालन करके, क्षय रोग को न केवल समय पर पहचाना जा सकता है, बल्कि इस पर निगरानी रखी जा सकती है और प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है:
क्षय रोग में क्या करें और क्या न करें
क्या करें-
• अगर आपको तीन सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी है, तो 2 बार बलगम की जांच करवाएं।
• नियमित रूप से पूरी तरह से निर्धारित अवधि के लिए सभी दवाएं लें
• खांसते या छींकते समय रूमाल का इस्तेमाल करें
• घर में रखे गए थूकदान में थूकें
• प्रतिरक्षा को मजबूत करने के लिए स्वस्थ आहार का सेवन करें
क्या न करें-
• दवाइयों को कभी न छोड़ें।
• अपने चिकित्सक की अनुमति के बिना दवाओं या उपचार को बीच में न रोकें
• अस्वास्थ्यकर भोजन न करें
• लगातार मत थूकें
• शराब का सेवन और धूम्रपान न करें
• उचित स्वच्छता बनाए रखें
• भीड़भाड़ वाली जगहों से बचें
यदि आपको निम्नलिखित लक्षण हों तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें:-
• खांसी जो तीन सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहती है
• खाँसी के साथ खून आना
• सांस लेने या खांसने पर सीने में दर्द
• अनजाने में या बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन घटना
• रात में पसीने में भीगना
• भूख न लगना
• थकान
• बुखार
• ठंड लगना
मैक्स हेल्थकेयर के बारे में :-
मैक्स हेल्थकेयर (एमएचसी) देश का मानकीकृत सहज और अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्वास्थ्य सेवाओं का प्रमुख व्यापक प्रदाता है। यह चिकित्सा और सेवा उत्कृष्टता, रोगी की देखभाल, वैज्ञानिक और चिकित्सा शिक्षा के उच्चतम मानकों को बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
एमएचआईएल के उत्तर और पश्चिम भारत में 12 अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों का एक नेटवर्क है यह 30 से अधिक चिकित्सा विषयों में सेवाओं की पेशकश करता है। इसके कुल नेटवर्क के 8 अस्पताल और 4 चिकित्सा केंद्र दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित हैं और अन्य केंद्र मुम्बई, मोहाली, बठिंडा और देहरादून में स्थित हैं।
मैक्स नेटवर्क में दिल्ली में साकेत, पटपड़गंज, राजेन्द्र प्लेस, वैशाली और शालीमार बाग तथा मुम्बई, मोहाली, बठिंडा और देहरादून में अत्याधुनिक टर्शीएरी केयर हास्पीटल और गुड़गांव में सेकंडरी केयर हास्पीटल और एनसीआर- दिल्ली में पीतमपुरा, नोएडा, लाजपत नगर और पंचशील पार्क में डे केयर सेंटर शामिल हैं। मोहाली और बठिंडा में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पंजाब सरकार के साथ पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) व्यवस्था के तहत आते हैं।
मुख्य अस्पताल व्यवसाय के अलावा, मैक्स हेल्थकेयर में मैक्स@होम और मैक्सलैब नामक दो एसबीयू भी हैं। मैक्स@होम एक ऐसा मंच है जो घर पर स्वास्थ्य और देखभाल संबंधित सेवाएं प्रदान करता है और मैक्सलैब अपने नेटवर्क के बाहर रोगियों को नैदानिक सेवाएं प्रदान करता है।