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आशा स्वास्थ्य वर्कर्स यूनियन ने 12 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

स्थानीय संवाददाता / कोटद्वार। उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य वर्कर्स ने अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर उप जिलाधिकारी कोटद्वार के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया ।आशा वर्करों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा । ज्ञापन के माध्यम से उनका कहना है कि कोरोना महामारी के समय भी उन्होंने बड़ी मशक्कत के साथ सेवाएं दी हैं,और उनकी लंबित मांगों को लंबे समय के बाद भी सरकार के द्वारा नहीं माना गया है। उन्होंने 12 सूत्रीय मांगों के तहत आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और न्यूनतम 21000 वेतन दिए जाने की मांग की।

मासिक वेतन कर्मचारी का दर्जा नहीं मिलता तब तक आशाओं को भी आंगनबाड़ी जैसी अन्य स्कीम वर्कर्स की तरह मासिक मानदेय फिक्स किया जाए ।उन्होंने सेवानिवृत्त होने पर पेंशन के प्रावधान की भी मांग की ,और पैदल ड्यूटी करते समय जो उन्हें शारीरिक दिक्कत घुटनों में दर्द होता है इसके लिए एकमुश्त पैकेज की घोषणा की भी मांग की। आशा वर्कर्स ने पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा घोषित मांगों को जो मानी गई थी, तत्काल वर्तमान सीएम से धनराशि आशाओं के खाते में डाले जाने की मांग की और कार्य में लगी सभी आशा वर्करों की शुरुआत से 10000 रूपए मासिक पूर्ण भुगतान देने की भी मांग की है।

कोविड कार्य में लगी आशा वर्करों का 5 लाख का जीवन बीमा और 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा लागू करने की मांग की। उन्होंने कोविड में ड्यूटी के दौरान मृत आशा वर्करों के आश्रितों को 50 लाख का बीमा और चार लाख का अनुग्रह अनुदान राशि भुगतान करने की भी मांग की ।

आशा वर्करों ने मांग की कि उड़ीसा की तरह ऐसे मृत कर्मियों के आश्रितों को विशेष मासिक भुगतान किया जाए। मांग की कि सेवा के समय दुर्घटना हार्ट अटैक या बीमारी होने की स्थिति में आशाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियम बनाए जाएं ,और न्यूनतम दस लाख मुआवजे का प्रावधान किया जाए।

देय मासिक राशि और सभी मदों का बकाया सहित समय से भुगतान किया जाए। आशाओं के साथ विभिन्न भुगतानों में निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी पर लगाम लगाई जाए। उन्होंने मांग की कि सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की नियुक्ति तत्काल की जाए। आशाओं के साथ अस्पतालों में सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। आशा वर्करों ने मुख्यमंत्री से मांग की कोराेना ड्यूटी के लिए अलग से मासिक भत्ते का प्रावधान जब तक नहीं किया जाता तब तक आशाओं की कोरोना में ड्यूटी ना लगाई जाए।

आशा वर्करों ने मुख्यमंत्री से तत्काल प्रभाव से उनकी सभी मांगों पर तत्काल कार्यवाही करने की मांग की गई है और उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री तत्काल प्रभाव से उनकी सभी मांगों पर सकारात्मक निर्णय लेंगे। इससे पूर्व आशा वर्करों ने तहसील प्रांगण में जोरदार धरना प्रदर्शन किया । उन्होंने कहा कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएंगी उनका आंदोलन जारी रहेगा।

रिपोर्ट – वीरेंद्र रावत