न्यूज डेस्क / ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में आयोजित भागवत कथा में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने सहभाग कर कथा प्रेमियों और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया।
भागवत कथा वाचक आचार्य छबीले लाल गोस्वामी और आचार्य प्रथमेश लाल गोस्वामी ने भक्तों को प्रभु का गुणानुवाद रोचक कथाओं के माध्यम से सुनाया। मानव कल्याण, सुख, शांति एवं सभी प्राणिमात्र के कल्याण की कामना से आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का आज समापन हुआ।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि कथा श्रवण करना अध्यात्म जीवन में प्रवेश की कुंजी है।
आध्यात्मिक होना और अध्यात्म को जानना सरल है परन्तु अध्यात्म को जीना कठिन है, पर यही जीवन जीने का सच्चा मार्ग है। यहां आकर श्रवण की कथा को अपने हृदय में उतरने और उसके अनुरूप जीवन जीने का प्रयास करना।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि कथायें हमें प्रकृति से जुड़ना और जुड़े रहने का संदेश देती हैं। अतः हम सभी का कर्तव्य बनता है कि हम अपने देश को गंदगी से मुक्त एवं पेड़ों से युक्त करें क्योंकि पेड़ होगे तो प्राण बचेंगे; पीढ़ियाँ बचेंगी और पृथ्वी बचेंगी, धरती बचेंगी तो ही हम भविष्य को बचा सकते है। पूज्य स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने भी गोर्वधन पर्वत उठाकर प्राकृतिक आपदा से सभी को सुरक्षा प्रदान की और यमुना जी के पावन जल को मधुर बना दिया। प्रभु की कथा का श्रवण कर आप सब वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेकर जाये ताकि वर्तमान ही नहीं आने वाली पीढ़ियां भी स्वस्थ रह सके।
आचार्य छबीले लाल गोस्वामी जी ने कहा कि ’’ईश्वर के गुणानुवाद को श्रेष्ठ और दिव्य स्थान पर श्रवण करने का अद्भुत आनन्द मिलता है। परमार्थ निकेतन की शुद्धता और सात्विकता से भक्तों का आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ स्थानों पर कथा श्रवण करने से लौकिक और पारलौकिक दोनों सुखों और शान्ति की प्राप्ती होती है।
इस अवसर पर बेरी सर (अमृतसर), सुनील नारंग(दिल्ली), कृष्ण गोपाल शर्मा (सेवा निवृत्त कमांडर सीआरपीएफ (वृन्दावन) और कई श्रद्धालुओं ने सहभाग किया।
