स्थानीय संपादक / नारायणबगड़ चमोली। प्रखंड के कड़ाकोट पट्टी के कफारतीर में वीसी दरवान सिंह नेगी की याद में तीन दिवसीय शौर्य महोत्सव का रंगारंग आगाज हुआ।
विगत वर्षों की भांति विक्टोरिया क्रास विजेता दरवानसिंह नेगी के अदम्य साहस और त्याग को यादगार बनाने के लिए इस वर्ष भी शौर्य महोत्सव का आयोजन किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक और प्रथम विक्टोरिया क्रास वार मैमोरियल फाउंडेशन के सदस्यों, सचिव गंभीर सिंह मिंगवाल, संरक्षक डॉ हरपाल सिंह नेगी व मेलाधिकारी उपजिलाधिकारी थराली सुधीर कुमार ने वीसी दरवान सिंह नेगी के चित्र का अनावरण कर दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इससे पहले वीसी दरवान सिंह नेगी के पैतृक गांव व घर पर फाउंडेशन के संरक्षक भुवनचंद नौटियाल,कफारतीर के प्रधान एवं दरवान सिंह नेगी के पौत्र सुदर्शन नेगी, फाउंडेशन के कोषाध्यक्ष गोविंद सिंह नेगी,पंकज सिंह नेगी,गायत्री परिवार के गंभीर सिंह फर्स्वाण, वीसी दरवान सिंह नेगी की पुत्रवधू रामेश्वरी देवी,अध्यक्ष लखपत सिंह आदि बड़ी संख्या में लोगों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर कफारतीर से जलकलश झांकी खैतोली खाल मुख्य आयोजन स्थल तक पहुंचे।
मुख्य आयोजन स्थल पर कार्यक्रम की शुरुआत अतिथि स्वागत गीत से स्कूली छात्राओं ने किया। इसके बाद रैंस गांव की महिला मंगल दल ने पारंपरिक रीति रिवाजों और प्राकृतिक खेती-बाड़ी के बाद निभाई जाने वाली रस्मों पर शानदार गीत व नृत्य की प्रस्तुति देकर उपस्थित दर्शकों और अतिथियों को मंत्रमुग्ध कर खूब तालियां बटोरी।इसी तरह ग्राम पालछूनी,भंगोटा,तुनेडा,चोपता,कफारतीर,सैंज,
बेथरा की महिला मंगल दलों व जूनियर हाईस्कूल सैंज खतोली के नौनिहालों ने भी रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियां दी।
बताते चलें कि पिछले वर्षों में यह शौर्य महोत्सव फाउंडेशन और स्थानीय जनता के द्वारा आयोजित किया जाता रहा था। सन् 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शौर्य महोत्सव का उद्घाटन करते हुए इसे राजकीय शौर्य महोत्सव बनाने की घोषणा की थी। इस बार यह शौर्य महोत्सव बतौर सरकारी तौर पर आयोजित किया गया है।
परंतु स्थानीय लोगों और प्रथम विक्टोरिया क्रास वार मैमोरियल फाउंडेशन के सदस्यों ने सरकारी व्यवस्थाओं पर नाराजगी जताई और कहा कि सरकारी स्तर पर महोत्सव के लिए प्रचार प्रसार और अन्य व्यवस्थाओं को सही तरीके से नहीं किया गया है।कहा कि इससे पूर्व में जो भी शौर्य महोत्सव का आयोजन हुआ वह अपने आप में भव्य रूप से आयोजित किया गया था।
गौरतलब है कि प्रथम विश्व युद्ध में भाग लेने वाले कफारतीर के दरवान सिंह नेगी ने ब्रिटिश सरकार के सर्वोच्च पदक विक्टोरिया क्रास जीता था। वह इस पुरस्कार को पाने वाले भारत के पहले सैनानी थे। प्रथम विश्व युद्ध सन् 1914 से सन् 1918 तक मुख्य तौर पर यूरोप में व्याप्त महायुद्ध को कहते हैं। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ्रीका तीन महाद्वीपों के समुंदर, धरती व आकाश में लड़ा गया था।
इस दरमियान भारत में ब्रिटिश शासन था इसलिए भारतीय सैना को ब्रिटेन भारतीय सेना कहा जाता था। इसी युद्ध में यूरोपीय, भूमध्यसागरीय और मध्य पूर्व के युद्ध क्षेत्रों में भारतीय सेनाओं के अनेक डिवीजनों और स्वतंत्र ब्रिगेडों का बड़ा योगदान रहा था। इसी क्रम में मेरठ डिवीजन की दो बटालियन को गढ़वाल ब्रिगेड के नाम से अगस्त 1914 में भारत से 1/39 गढ़वाल राइफल्स और 2/39 गढ़वाल राइफल्स की दो बटालियनों को प्रथम विश्व युद्ध में हिस्सा लेने के लिए फ्रांस भेजा गया था।
नायक दरवान सिंह नेगी के नेतृत्व में 23 नवंबर को इनकी बटालियन को फेस्तुबर्त में जर्मनों द्वारा कब्जे में किए गए मोर्चे को पुनः प्राप्त करना था। जर्मन सेना ने मोर्चे के एक हिस्से को चारों ओर से घेर लिया था। इसी बीच गढ़वाल बटालियन ने मोर्चे को अपने हाथ में लेते हुए एक किनारे से आगे बढ़ना शुरू किया और 24 नवंबर की सुबह तीन बजे से दुस्मनों को खदेड़ते हुए पीछे धकेलने में कामयाब रही।
इस दौरान दुस्मनों के नियंत्रण में सुरंग को भी फतह करने से सफल रही, जिसमेें दरवान सिंह नेगी सबसे आगे थे। गढ़वाल राइफल्स की वीरता के लिए बैटल ऑफ फेस्टूवर्ड-इन-फ्रांस का खिताब दिया गया।
इस युद्ध में नारायणबगड़ के कफारतीर गांव के दरवान सिंह नेगी के अदम्य साहस, वीरता व पराक्रम की चारों ओर प्रशंसा होने लगी। इससे प्रभावित होकर किंग जार्ज पंचम ने 7 दिसंबर 1914 को जारी हुए गजट से दो दिन पहले ही युद्ध के दौरान मैदान में पहुंच कर नायक दरवान सिंह नेगी को ब्रिटेन का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास प्रदान किया।
वीसी दरवान सिंह नेगी के शौर्य को जीवंत रखने के लिए कड़ाकोट पट्टी के पूर्व सैनिकों और आम जनता ने खैतोली खाल में हर वर्ष शौर्य महोत्सव मनाने का फैसला लिया और तब से यह हर वर्ष आयोजित किया जा रहा है। पहले दिन का कार्यक्रम शानदार रहा।