बीएसएनके न्यूज डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 216 फीट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी को दुनिया के लिए समर्पित किया, जो हर आस्था, जाति और नस्ल के लोगों के बीच समानता को बढ़ावा देने वाली श्री रामानुजाचार्य की शिक्षाओं का स्मरण कराती है। उन्होंने हैदराबाद स्थित शमशाबाद के मध्य में बने 45 एकड़ वाले इस मंदिर परिसर का दौरा किया, जिसमें यह प्रतिमा और 108 दिव्यदेसमों की प्रतिकृतियां खड़ी की गई हैं।
स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी का अनावरण रामानुज की 1000वीं जयंती वाले समारोह के 12-दिवसीय श्री रामानुज सहस्राब्दी ’समारोहम’ का एक अंग है, जो 2 फरवरी, 2022 को शुरू हुआ था। एचएच चिन्ना जीयार स्वामी ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जिसमें दुनिया भर के राजनेताओं, मशहूर हस्तियों और हजारों भक्तों ने भागीदारी की।
स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी ’पंचलोहा’ से निर्मित है,जो पांच धातुओंः सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का मिश्रण है। ’भद्र वेदी’ नामक 54 फुट ऊंची इमारत में एक वैदिक डिजिटल पुस्तकालय एवं अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथों, एक थिएटर, एक शैक्षिक गैलरी के लिए समर्पित मंजिलें बनाई गई हैं, जिसमें रामानुजाचार्य के साहित्य का विवरण प्रस्तुत किया गया है।
अपने भाषण में मोदी ने कहा, “मैं स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी के उद्घाटन के क्षणों का साक्षी बन कर बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं। यह वास्तव में प्रत्येक भारतीय के लिए बड़े गर्व के क्षण हैं। भारत में कई महान मेधाएं हुई हैं और रामानुजाचार्य उनमें से एक थे, जिन्होंने सभी जातियों, नस्लों और लिंगों के बीच हमें समानता का पाठ पढ़ाया। स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी पूरे विश्व में सर्वाधिक विविधतापूर्ण जनसंख्या वाले हमारे देश को समानता में दृढ़ विश्वास रखने वाले राष्ट्र के रूप में सर्वोपरि रखती है। इस अवसर पर मैं एचएच त्रिदंडी चिन्ना जीयार स्वामी जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने हमारे राष्ट्र को समानता और एकता का प्रतीक प्रदान करने की पहल की, जो भारत का मूल सारतत्व है।
स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी के भव्य उद्घाटन पर सभी का स्वागत करते हुए एचएच चिन्ना जीयार स्वामी जी ने कहा, “भगवद् रामानुजाचार्य 1000 वर्षों तक समानता के सच्चे प्रतीक बने रहे हैं और यह परियोजना सुनिश्चित करेगी कि उनकी शिक्षाओं को आगे कम से कम 1000 वर्षों तक अमल में लाया जाए। हमारा मिशन यह है कि स्टैच्यू ऑफ इक्वालिटी को समूचे विश्व के लोगों के लिए सांस्कृतिक रूप से सर्वोपरि गंतव्य बनाया जाए और दुनिया को अधिक समानतापूर्ण ढंग से रहने लायक स्थान बनाने हेतु सभी को प्रेरित किया जाए।
पवित्र अग्नि में आहुतियां अर्पण करने वाले एक वैदिक अनुष्ठान ‘श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ’ के साथ इस ’समारोहम’ का शुभारंभ हुआ। यह महायज्ञ 5000 वैदिक विद्वानों की भागीदारी के साथ 2 फरवरी, 2022 को संपन्न किया गया। इसके लिए 144 होमशालाओं में 1035 ‘यज्ञकुंडों’ का निर्माण किया गया था, जिसके कारण यह आधुनिक इतिहास में अपनी तरह का दुनिया का सबसे बड़ा यज्ञ बन गया। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 13 फरवरी, 2022 को आंतरिक कक्ष रामानुज का अनावरण करेंगे।
रामानुज सहस्राब्दी ’समारोहम’ में कई आध्यात्मिक गतिविधियाँ शामिल हैं, जैसे कि चार वेदों की नौ शाखाओं का जाप, अष्टाक्षरी महामंत्र (जिसे मंत्र राजम, सभी मंत्रों का राजा, भी कहा जाता है) का जाप, इतिहास-पुराण-आगम का पाठ करना आदि। ‘समारोहम’ के अंत तक अष्टाक्षरी महामंत्र के चल रहे जाप की गणना एक करोड़ तक पहुंच जाने की अपेक्षा है। इस परियोजना की आधारशिला वर्ष 2014 में रखी गई थी।