जीवनदायिनी पिण्डर नदी तोड़ रही है दम,शासन प्रशासन व एनजीटी सहित कोई नहीं ले रहा सुध

Picture of BSNK NEWS

BSNK NEWS

बीएसएनके न्यूज डेस्क / नारायणबगड़,चमोली। पिण्डर नदी का इन दिनों दम घुटकर मारने और खुद मरने के कगार पर है परंतु जीवनदायिनी पवित्र पिण्डर नदी के हालात का शासन प्रशासन व एनजीटी सहित कोई सुध ले नहीं रह गया है।

चमोली जनपद की प्रमुख नदियों में से एक पवित्र पिण्डर नदी इन दिनों अपने अस्तित्व के लिए खून के आंसू बहा रही है। जिससे हिंदू धर्म के अनुयाई अपने लिए गंगाजल,गंगा स्नान करने और पिण्डर नदी के जल पर पीने के पानी के लिए आश्रित सभी लोग परेशान और बहुत ही आहत हैं परंतु उसी पिण्डर नदी के अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरों और जलीय जीवों के जीवन के लिए चिंतित कोई दिखाई नहीं देते। दरअसल असली बात यह है कि बरसात के दौरान सभी नदी-नालों का गंदा रहना तो स्वाभाविक है और यही हाल हर बरसात में पिण्डर नदी का भी रहता है लेकिन बरसात के बाद भी इस पवित्र पिण्डर नदी का जल गाढ़े मिट्टी को अपने साथ बहाकर ला रहा है।

जिस कारण इस नदी के पानी पर निर्भर रहने वाले कस्बों के लोगों को बड़ी दिक्कतें उठानी पड़ रही है। यही नहीं पूरे श्राद्ध पक्ष,नवरात्र और शादियों के समय भी लोग इस नदी से पवित्र गंगाजल लेकर नहीं आ पा रहे हैं और पिण्डर नदी के किनारे लोगों के श्मशान घाटों पर भी लोग स्नान नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए कि यह पानी बहुत सारी मिट्टी अपने साथ बहाकर ला रहा है और दुर्गन्ध भी बहुत आ रही है। इससे यहां के लोगों में आहत का भाव बना हुआ है।

बताते चलें कि बरसात के बाद भी यह नदी दो महीने से भी ऊपर के समय से बहुत ही गंदा पानी ढो रही है जिससे इस नदी और जलीय जीव जंतुओं के अस्तित्व के लिए लोग चिंतित हैं। सामाजिक कार्यकर्ता दलीप सिंह नेगी, महावीर सिंह बिष्ट, देवेंद्र सिंह नेगी आदि लोगों ने आरोप लगाए कि शासन प्रशासन और एनजीटी का इस ओर बिल्कुल भी कोई ध्यान ही है जो काफी गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण है।

दरअसल बताया जा रहा है कि पिण्डारी ग्लेशियर से निकलने वाली यह पिण्डर नदी के मुहाने पर बसे गांव झलिया और कुंवारी के समीप बड़े भूभाग में बहुत दिनों से भूस्खलन हो रहा है जिसका मलवा यहां से बहकर निचले हिस्से में आ रहा है। बताया जा रहा है कि इस भूस्खलन वाले गांव को पूर्व में विस्थापन तो कर दिया गया है परंतु इस स्थान का स्थाई समाधान वह उपचार करने की अभी तक जहमत नहीं उठाई गई है।

जिससे इस नदी,जलीय जीव जंतुओं और पर्यावरण पर काफी गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। इसके साथ ही लोगों ने यह भी कहा कि क्षेत्रों में बन रहे मोटर मार्गों का मलवा पत्थर भी धड़ल्ले से नदी नालों में फेंका जाता है, जिससे भी नदी नालों में हमेशा ही गंदा पानी बहता रहता है। स्थानीय लोगों ने शासन प्रशासन और एनजीटी से आग्रह किया है कि जल्द ही पिण्डर नदी को जीवन देने की दिशा में ठोस क़दम उठाए जाएं,वरना जनता को बड़े आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।

रिपोर्ट – सुरेन्द्र धनेत्रा,स्थानीय संपादक

Leave a Comment

Leave a Comment

Verified by MonsterInsights