बीएसएनके न्यूज डेस्क / देहरादून। सिंध हनुमंथु राव और समूह द्वारा ‘थोलू बोम्मलता’ छाया कठपुतली पर 4 दिवसीय सर्किट आज देहरादून में समाप्त हो गया। स्पिक मैके के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के आखिरी दिन का आयोजन ओक ग्रूव स्कूल मसूरी के छात्रों के लिए किया गया।
प्रस्तुति के दौरान, सिंध हनुमंथु राव के साथ अंजनेयुलु, एस. जयंती, एस. तिरुपतम्मा, एस. चंद्र शेखर और एस. गणेश मौजूद रहे। समूह ने अद्वितीय छाया बनाने के लिए प्रकाश और चमड़े की कठपुतलियों का उपयोग करते हुए प्राचीन रामायण महाकाव्य, सुंदर कांड को प्रस्तुत किया, जिसने उपस्थित सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने मृदंग, हारमोनियम, ताल और घुंघरू का उपयोग करते हुए लाइव संगीत भी बजाय और ‘एचेगनम’ नामक एक तेलुगु गीत भी प्रस्तुत किया।
थोलू बोम्मलता के बारे में छात्रों के साथ अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, हनुमंथु ने कहा, “तेलुगु में, थोलू का मतलब चमड़ा और बोम्मालु का मतलब गुड़िया होता है। माना जाता है की इस कला की शुरुआत सातवाहन राजवंश के शासनकाल के दौरान हुई थी। चमड़े से बनी कठपुतलियाँ आंध्र प्रदेश की कला और शिल्प का ट्रेडमार्क मानी जाती हैं, और यह शिल्प आंध्र प्रदेश की पारंपरिक कलात्मक और लोक अभिव्यक्ति से अविभाज्य रूप से संबंधित है। मुझे आज यहाँ देहरादून के छात्रों के सामने इस अनूठी कला को पेश करते हुए बेहद खुशी हो रही है।
अपनी प्रस्तुति के दौरान, सिंध हनुमंथु राव और समूह ने 11 फीट x 8 फीट आकार के लोहे के फोल्डिंग फ्रेम पर कपास से बनी एक स्क्रीन का उपयोग किया। यह एकमात्र ऐसा समूह है जो 6 से 8 फीट की कठपुतलियों का उपयोग करता है।
थोलू बोम्मलता की प्रस्तुति को अद्वितीय रखने के लिए आमतौर पर प्राचीन और प्रचलित संस्कृति को चित्रण में शामिल किया जाता है। यह कला कलाकारों द्वारा पारंपरिक उपकरणों का उपयोग कर कुशल कारीगरी के साथ चमड़े पर चित्र और डिजाइन बना कर, और फिर आकर्षक रंगों के साथ तैयार की जाती है। नक्काशी, होलिंग और क्राफ्टिंग के साथ-साथ चमड़े पर डिजाइनिंग के माध्यम से चीजों को जीवित किया जाता है।
सिंध हनुमंथु आंध्र प्रदेश के 6वीं पीढ़ी के कठपुतली कलाकार हैं और पिछले 18 वर्षों से प्रदर्शन कर रहे हैं। वह रामायण और महाभारत की कहानियों का प्रदर्शन करते हैं और उन्होंने स्पेन, जापान, पेरिस और जर्मनी सहित सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शन किया है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में कई कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं। हनुमंथु को 2008 में राष्ट्रीय पुरस्कार और केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार सहित विभिन्न तिमाहियों से मान्यता मिली है।
छात्रों में से एक, अंजलि ने कहा, “यह प्रस्तुति मेरे जीवन में अभी तक देखी गयीं पारंपरिक कलाओं के सर्वोत्तम रूपों में से एक थी। इस तरह के कार्यक्रम हमारे देश की समृद्ध कला और संस्कृति को दर्शाते हैं। मैं इस अनूठी कला को देखकर खुद को भाग्यशाली महसूस करती हूं, और इसके लिए मैं स्पिक मैके का आभार व्यक्त करती हूं।
अपने सर्किट के दौरान, सिंध हनुमंथु राव और समूह ने बेवर्ली हिल्स शालिनी स्कूल,ओएसिस स्कूल, सनराइज़ एकेडमी, कसिगा स्कूल, बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग और हिमज्योति पॉलिटेक्निक सहित शहर और आसपास के अन्य शैक्षणिक संस्थानों में भी प्रस्तुति दी।