बीएसएनके न्यूज डेस्क/अंतरराष्ट्रीय :- मुले का कहना है कि ‘मौजूदा सरकार का झुकाव इस्लामिक विचारधारा की तरफ है और इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मोहम्मद मुइज्जू ने अपना पहला विदेश दौरा तुर्किए का किया और उनका दूसरा दौरा चीन का हुआ है।’
भारत और हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से अहम मालदीव के संबंध दशकों से करीबी रहे हैं। मालदीव अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भी भारत पर निर्भर है, लेकिन नई सरकार बनने के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में थोड़ी तनातनी देखने को मिल रही है। मालदीव में भारत के पूर्व उच्चायुक्त रहे ज्ञानेश्वर मनोहर मुले का कहना है कि मालदीव में रूढ़िवादी इस्लामिक तत्वों का धड़ा सरकार में आया है और इसी वजह से भारत और मालदीव के रिश्तों में कड़वाहट आ रही है।
मालदीव में भारत विरोध के पीछे चीन का हाथ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व राजनयिक ने बताया कि ‘मालदीव में लोकतंत्र अभी अपनी किशोरावस्था में है। भारत और मालदीव के रिश्तों की अहमियत और कम आपसी समझ के चलते यह तनाव की स्थिति बनी है। जब भी ऐसा होता है तो इसका मतलब होता है कि कुछ लोग मालदीव के लोगों के दिमाग में जहर घोल रहे हैं। चीन की इसमें अहम भूमिका है। चीन द्वारा ही मालदीव में रूढिवादी इस्लामिक तत्वों को समर्थन दिया जा रहा है। मालदीव में मौजूदा सरकार भी इसी रूढ़िवादी धड़े की है।’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पूर्व राजनयिक ने बताया कि ‘मालदीव में लोकतंत्र अभी अपनी किशोरावस्था में है। भारत और मालदीव के रिश्तों की अहमियत और कम आपसी समझ के चलते यह तनाव की स्थिति बनी है। जब भी ऐसा होता है तो इसका मतलब होता है कि कुछ लोग मालदीव के लोगों के दिमाग में जहर घोल रहे हैं। चीन की इसमें अहम भूमिका है। चीन द्वारा ही मालदीव में रूढिवादी इस्लामिक तत्वों को समर्थन दिया जा रहा है। मालदीव में मौजूदा सरकार भी इसी रूढ़िवादी धड़े की है।’
इस्लामिक विचारधारा की तरफ मौजूदा सरकार का झुकाव
मुले ने कई साल माले में बतौर भारतीय उच्चायुक्त अपनी सेवाएं दी हैं। ऐसे में वह मालदीव की अंदरुनी राजनीति की भी समझ रखते हैं। मुले का कहना है कि ‘मौजूदा सरकार का झुकाव इस्लामिक विचारधारा की तरफ है और इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मोहम्मद मुइज्जू ने अपना पहला विदेश दौरा तुर्किए का किया और उनका दूसरा दौरा चीन का हुआ है। इससे साफ पता चलता है कि मालदीव की मौजूदा सरकार का झुकाव किस तरफ रहने वाला है।’
मुले ने कई साल माले में बतौर भारतीय उच्चायुक्त अपनी सेवाएं दी हैं। ऐसे में वह मालदीव की अंदरुनी राजनीति की भी समझ रखते हैं। मुले का कहना है कि ‘मौजूदा सरकार का झुकाव इस्लामिक विचारधारा की तरफ है और इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मोहम्मद मुइज्जू ने अपना पहला विदेश दौरा तुर्किए का किया और उनका दूसरा दौरा चीन का हुआ है। इससे साफ पता चलता है कि मालदीव की मौजूदा सरकार का झुकाव किस तरफ रहने वाला है।’
मोहम्मद मुइज्जू भी माने जाते हैं चीन समर्थक
उल्लेखनीय है कि मोहम्मद मुइज्जू, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समर्थक हैं। अब्दुल्ला अपनी चीन समर्थक नीति और भारत विरोध के लिए जाने जाते हैं। साल 2013-2018 के बीच यामीन ने मालदीव में चीन के कर्ज के जाल की शुरुआत की थी। अब्दुल्ला यामीन ने ही मालदीव में साल 2015 में इंडिया आउट कैंपेन चलाया था। मुइज्जू ने भी राष्ट्रपति बनते ही मालदीव से भारत के सैनिकों को वापस भेजने का एलान कर दिया था। अब मुइज्जू के स्टैंड से भी साफ है कि वह भारत पर चीन को वरीयता देने वाले हैं।
उल्लेखनीय है कि मोहम्मद मुइज्जू, मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समर्थक हैं। अब्दुल्ला अपनी चीन समर्थक नीति और भारत विरोध के लिए जाने जाते हैं। साल 2013-2018 के बीच यामीन ने मालदीव में चीन के कर्ज के जाल की शुरुआत की थी। अब्दुल्ला यामीन ने ही मालदीव में साल 2015 में इंडिया आउट कैंपेन चलाया था। मुइज्जू ने भी राष्ट्रपति बनते ही मालदीव से भारत के सैनिकों को वापस भेजने का एलान कर दिया था। अब मुइज्जू के स्टैंड से भी साफ है कि वह भारत पर चीन को वरीयता देने वाले हैं।
पीएम मोदी पर आपत्तिजनक बयान से बढ़ा तनाव
गौरतलब है कि बीते दिनों जब पीएम मोदी लक्षद्वीप के दौरे पर गए थे तो उन्होंने देशवासियों से लक्षद्वीप घूमने की अपील की थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप और मालदीव की तुलना शुरू हो गई थी। इस पर मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए पोस्ट किए थे। जिन पर हंगामा हो गया। भारत में सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव ट्रेंड करने लगा। मालदीव में भी कई नेताओं ने मंत्रियों के आपत्तिजनक पोस्ट पर नाराजगी जताई और सरकार से कार्रवाई की मांग की। इससे मालदीव की सरकार दबाव में आ गई और मालदीव की सरकार ने पीएम मोदी पर टिप्पणी करने वाले तीनों मंत्रियों को पद से हटा दिया।
गौरतलब है कि बीते दिनों जब पीएम मोदी लक्षद्वीप के दौरे पर गए थे तो उन्होंने देशवासियों से लक्षद्वीप घूमने की अपील की थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप और मालदीव की तुलना शुरू हो गई थी। इस पर मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए पोस्ट किए थे। जिन पर हंगामा हो गया। भारत में सोशल मीडिया पर बायकॉट मालदीव ट्रेंड करने लगा। मालदीव में भी कई नेताओं ने मंत्रियों के आपत्तिजनक पोस्ट पर नाराजगी जताई और सरकार से कार्रवाई की मांग की। इससे मालदीव की सरकार दबाव में आ गई और मालदीव की सरकार ने पीएम मोदी पर टिप्पणी करने वाले तीनों मंत्रियों को पद से हटा दिया।