बीएसएनके न्यूज डेस्क / देहरादून। प्रसिद्ध कलाकार सुमन चित्रकार ने आज मानव भारती स्कूल, स्कॉलर्स होम और होपटाउन गर्ल्स स्कूल के छात्राओं के लिए कालीघाट पेंटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया।
स्पिक मैके द्वारा सप्ताह भर चलने वाली शिल्प कार्यशालाओं की श्रृंखला के तहत आयोजित, सुमन चित्रकार ने अपनी कार्यशाला के दौरान छात्रों को कालीघाट पट्टचित्र और बंगला पट्टचित्र कला के बारे में जानकारी दी और बताया कि कैसे यह लोक गुड़िया और मूर्तियों से प्रेरणा प्राप्त करता है।
दासपुर के रहने वाले सुमन चित्रकार ने 2004 में पट्टचित्र बनाना शुरू किया और इस अनूठी कला को उन्होंने अपने गुरुों मैना चित्रकार और जॉयदेब चित्रकार से सीखा। वह बंगला पट, संथाल पट, और कालीघाट पट में माहिर हैं, और साड़ी, कुर्ता, टी-शर्ट, छाता, केतली आदि जैसी विविध वस्तुओं को भी पेंट करते हैं।
सुमन पूरे पश्चिम बंगाल, दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर, अहमदाबाद, हैदराबाद, ठाणे, मैसूर, पंजाब और हरियाणा की यात्रा कर चुके हैं। उन्होंने जोरासांको, राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान, विक्टोरिया मेमोरियल कोलकाता और भारतीय संग्रहालय कोलकाता में कार्यशालाएं भी आयोजित की हैं। उन्होंने ग्लासगो, एडिनबर्ग और लंदन में प्रदर्शनियां भी लगाई हैं।
कालीघाट पट्टचित्र कला के बारे में छात्रों को संबोधित करते हुए, सुमन ने कहा, “कालीघाट चित्रों को कालीघाट पटचित्र के रूप में भी जाना जाता है। वे कोलकाता के कालीघाट मंदिर के आसपास 18वीं और 19वीं शताब्दी के अंत में प्रचलित चित्रों की स्थानीय प्रवृत्ति का एक रूप हैं। इस शैली की उत्पत्ति औपनिवेशिक काल के बाद हुई थी, जब बंगाल के कलाकार अपनी आजीविका खो चुके थे और उन्होंने कालीघाट पटचित्रों को अपनी जीविका बनाया था।
उन्होंने आगे बताया कि इन चित्रों का विषय समय के साथ विकसित हुआ है क्योंकि पहले कलाकार पारंपरिक क्षेत्रीय विषयों पर पेंटिंग करते थे, लेकिन अब वे अपने चित्रों में शहरी जीवन की असंगति को भी चित्रित करते हैं। कार्यशाला के दौरान कई गीत भी प्रस्तुत किये गए जिनमें चित्रकला में चित्रित विभिन्न कलाओं को कहानी के रूप में समझाया गया। इन गीतों का छात्रों ने खूब लुत्फ़ उठाया।
कार्यशाला के बारे में अपना अनुभव साझा करते हुए, सुमन कहते हैं, “देहरादून के विभिन्न स्कूलों में कार्यशालाओं की एक अद्भुत श्रृंखला की मेजबानी करना मेरे लिए अनूठा अनुभव रहा है। छात्रों ने कालीघाट पट्टचित्र और बांग्ला पट्टचित्र कला को सीखने के लिए अत्यंत उत्साह का प्रदर्शन किया। अपने सर्किट के दौरान, उन्होंने आरआईएमसी और वेल्हम गर्ल्स स्कूल में भी कार्यशाला का आयोजन करा।