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अतिक्रमण एवं फॉर्टिस अस्पताल के टेन्डर को ब्लैक लिस्टेड कंपनी द्वारा लिए जाने पर हो पूर्ण जांच –  राजकुमार

बीएसएनके न्यूज डेस्क। नगर निगम के क्षेत्रों में अतिक्रमण एवं फॉर्टिस अस्पताल के टेन्डर को ब्लैक लिस्टेड कंपनी द्वारा लिए जाने के बढ़ रहे खतरे के निदान को लेकर पूर्व विधायक राजकुमार ने मुख्य सचिव को सौंपा ज्ञापन और शीघ्र समस्याओं के निदान की करी मांग l इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि समाचार पत्रों के माध्यम से एक ज्ञात हुआ है कि नगर निगम के अंतर्गत आने वाले सभी वार्ड विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि एवं नलों में अतिक्रमण किया जा रहा है। जिसमें रायपुर रोड, राजपुर रोड, थानि गांव, जाखन, मालसी डियर पार्क, मैक्स अस्पताल, हररावाला, शिमला बाइपास व आसपास के कई ग्रामीण क्षेत्रों में अतिक्रमण किए जा रहे हैं ।

इसके साथ ही कई लोगों पर मुकदमे भी चल रहे हैं जिसमें लापरवाही बरती जा रही है और इसकी जांच होना आवश्यक है l उन्होंने कहा कि फॉर्टिस अस्पताल देहरादून के उच्चस्तरीय अस्पतालों में से एक है ,जहां पर उत्तराखण्ड निवासियों के सभी रोगों का सम्पूर्ण रूप से इलाज किया जाता है।

फॉर्टिस अस्पताल उत्तर भारत के सर्वोत्तम अस्पतालों की श्रेणी में आता है जिसने देहरादून में भी 2010 से वर्तमान तक न्यूनतम दरों में अपनी सेवा प्रदान की है । यहां पर नवजात शिशुओं से लेकर वृध्दजनों के हृदय रोगों का सम्पूर्ण इलाज किया जाता है जो की गरीबी रेखा से नीचे आते हैं जिसके अंतर्गत एन.आर.एच.एम, आयुष्मान भारत योजना, बी.पी.एल, ई.एस.आई, सी.जी.एच.एस, आर.बी.एस.के व अन्य योजनाएं आती हैं । कई जटिल ऑपरेशन जो अन्य अस्पतालों में नहीं हो पाते है वो भी फॉर्टिस अस्पताल में किए जाते हैं, यहां 24×7 आपातकालीन सेवाएं प्रदान की जाती हैं ।

उन्होंने कहा कि कोरोनेशन अस्पताल के द्वितीय तल पर जहां फॉर्टिस अस्पताल कार्यरत है के लिए टेंडर निकाला गया है जिसमें सिर्फ दो अस्पतालों ने भाग लिया है l यदि यह टेंडर किसी नई कम्पनी को दिया जाता है तो उत्तराखण्ड राज्य के 130 कर्मचारियों एवं उनके परिवार को राज्य से बाहर पलायन करने पर मजबूर होना पड़ेगा l भाजपा पलायन को रोकने का दावा करती है परंतु उसके विपरीत यह सब करके पलायन को बढ़ावा दे रही है और इस कारण उत्तराखण्ड निवासियों को सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रहना पड़ेगा ।

जिस नई कम्पनी को टेंडर मिलने की सम्भावना है वह केरल स्थित एक छोटी कम्पनी है। जिसका फॉर्टिस अस्पताल की तुलना में बहुत कम अनुभव है और यह एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी है। जिसका उत्तराखण्ड में लम्बे समय तक उच्च स्वास्थ्य सेवा देना सन्देहास्पद प्रतीत होता है । घाटा होने की स्थिती में उत्तराखण्ड के निवासियों के स्वास्थ्य सेवाओं से समझोता होगा और भविष्य में यह भी सम्भावना है कि वह अपनी स्वास्थ्य सेवाएं देना बन्द कर सकता है । रिपोर्ट के अनुसार कई राज्यों में इनकी सेवाओं को रद्द कर दिया गया है । इस अस्पताल के कई डाक्टरों को मेडिकल बोर्ड द्वारा सस्पेंड कर दिया गया है ।

एक रिपोर्ट के अनुसार इसके एक ही अस्पताल में पांच माह के अन्दर चौबीस मरीजों की मृत्यु दर्ज की गई है क्योंकि यहां मानक उपदंड से नीचे की मशीनों का प्रयोग किया जाता है तथा आयुर्वेदिक डाक्टरों से आई.सी.यू में डूयटी करवाई जाती है और इसके साथ ही इस कम्पनी पर ओवर चार्जजिंग के आरोप भी पाये गये हैं ।

पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि नगर निगम के क्षेत्रों में हो रहे अतिक्रमण की उचित कार्यवाही की जाए और फॉर्टिस अस्पताल, जो कि 11 वर्षों से उत्तराखण्ड के निवासियों को निशुल्क उच्च स्तरिय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है ,भविष्य में स्वास्थ्य सेवा देने का अवसर प्रदान किया जाए अन्यथा हमे जनहित में जनता के साथ प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा l इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष लाल चंद शर्मा, रचित वाधवा आदि मौजूद थे l