बीएसएनके न्यूज डेस्क। उत्तराखंड प्रदेश में कांग्रेस ने अभी तक किसी को सीएम के पद का चेहरा घोषित नहीं किया है। लेकिन हरीश रावत राज्य में सीएम के प्रबल दावेदारों में से हैं, लिहाजा वह अपने लिए सुरक्षित सीट खोज रहे हैं।
उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य में हो रहे चुनाव के लिए शनिवार रात को 53 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इस लिस्ट में कांग्रेस के दिग्गज नेता और राज्य के पूर्व सीएम हरीश रावत का नाम नहीं हैं। वहीं उनके सियासी विरोधी रणजीत सिंह का भी नाम गायब है। जिसको लेकर चर्चा शुरू हो गई हैं, वहीं कहा जा रहा है कि अभी 17 सीटों पर नाम तय होने हैं और हरीश रावत और रणजीत का नाम इस लिस्ट में शामिल हो सकता है।
राज्य में सीएम के दावेदार माने जाने वाले पूर्व सीएम हरीश रावत के रामनगर से चुनाव लड़ने की चर्चा है जबकि रंणजीत सिंह रावत को सल्ट से मैदान में उतारा जा सकता है। क्योंकि शनिवार को इन दोनों सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों पर अभी फैसला नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि हरीश रावत अपने लिए सुरक्षित सीट चाहते हैं। क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव से उन्होंने दो सीटों से चुनाव लड़ा था और वह दोनों ही सीटों से चुनाव हार गए थे। 2017 के विधानसभा चुनाव हरीश रावत की अगुवाई में लड़े गए, लेकिन कांग्रेस राज्य की सत्ता से बाहर हो गई। वहीं दो सीटों से चुनाव हारने के बाद हरीश रावत की सियासी ताकत भी राज्य में कम हुई और उनके विरोधियों को निशाना साधने का मौक भी मिला।
रामनगर सीट के लिए अड़े हैं रणजीत
बताया जा रहा है कि रणजीत सिंह रावत रामनगर सीट को लेकर अड़े हुए हैं और पार्टी उन्हें मनाने की कोशिश कर रही है। ताकि हरीश रावत का रास्ता साफ हो सके, वहीं पार्टी का मानना है कि हरीश रावत के लिए रामनगर सीट सुरक्षित है। क्योंकि इस सीट पर पहाड़ी मतदाताओं की खासी संख्या है और ये सीट मैदानी भी है। यहां पर मुस्लिम और मैदानी मतदाताओं की संख्या होने के कारण हरीश रावत के लिए सीट निकालना आसान है। वहीं रंजीत अभी भी इस सीट को लेकर अड़े हुए हैं, दरअसल रणजीत सिंह रावत को नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का भी समर्थन मिला है।
सुरक्षित सीट चाहते हैं हरदा
दरअसल राज्य में कांग्रेस ने किसी को सीएम के पद के लिए चेहरा घोषित नहीं किया है, लेकिन हरीश रावत राज्य में सीएम के प्रबल दावेदारों में से हैं, लिहाजा वह अपने लिए सुरक्षित सीट खोज रहे हैं। असल में 2017 के विधानसभा चुनाव में हरीश रावत और कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था और हरीश रावत दो सीटों से चुनाव लड़ने के बावजूद हार गए थे, इसलिए वह इस बार मौका नहीं चूकना चाहते हैं।