बीएसएनके न्यूज डेस्क / देहरादून। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के विशेष समारोह आईआईटीजे/15 के उद्घाटन के साथ संस्थान शिक्षा और अनुसंधान में 15 साल की उपलब्धियों का जश्न मना रहा है।
आईआईटीजे/15 समारोह का उद्घाटन 16 मार्च 2023 को हुआ और इसमें भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर शामिल हुए। इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों में संस्थान का पूरा समुदाय सक्रिय रहा। यह आयोजन केवल अतीत की उपलब्धियों का जश्न नहीं बल्कि बेहतर भविष्य की योजना बनाने का अवसर भी है।
इस अवसर पर टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच), आई-हब दृष्टि का उद्घाटन किया गया। इसकी स्थापना भारत सरकार के इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) के राष्ट्रीय मिशन के तहत की गई है। इसमें कंप्यूटर विजन, ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी (एआर वीआर) के शोध पर जोर दिया गया है। इस अवसर पर डॉ. चंद्रशेखर ने अन्विसा (छात्रों के लिए इनोवेशन का अभूतपूर्व स्थान), इंटेलिया (अंतर-विभागीय प्रतियोगिता) और आईआईटीजे/15 प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
आईआईटी जोधपुर शिक्षा में सहूलियत और इनोवेटिव रिसर्च पर जोर देता है। संस्थान का लक्ष्य देश की सामाजिक चुनौतियों का समाधान करना है। आईआईटी जोधपुर का पहला शैक्षणिक सत्र 2008 में आईआईटी कानपुर परिसर में शुरू हुआ। सन् 2010 में इसका स्थानांतरण जोधपुर के एक अस्थायी परिसर में किया गया और 2017 में यह अपने स्थायी परिसर में आया।
आईआईटी जोधपुर के इतिहास में शिक्षा एवं अनुसंधान दोनों में इसकी महत्वपूर्ण उपलब्धियां दिखती हैं। ‘आत्मनिर्भरता’ के राष्ट्रीय मिशन की ओर अग्रसर संस्थान शिक्षा, अनुसंधान एवं विकास और उद्योग जगत के सहयोग से विभिन्न विषयों के कई प्रोजेक्ट पर निरंतर कार्यरत है। इस प्रगति का श्रेय पूरे आईआईटी जोधपुर समुदाय की सक्रिय भागीदारी, समर्पण और दिल से समर्थन को जाता है।
आईआईटीजे/15 के उद्घाटन पर आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो. शांतनु चैधरी ने कहा, “आईआईटी जोधपुर ने पिछले 15 वर्षों में अध्ययन-अध्यापन का बेजोड़ इकोसिस्टम बनाया है। इसमें विभिन्न विषयों के बीच परस्पर संबंध हैं। यहाँ रचनात्मक और मौलिक विचारों को बढ़ावा दिया जाता है और नया दौर शुरू करने वाले इनोवेशन प्रोत्साहित किए जाते है।
राष्ट्र निर्माण में संस्थान का योगदान बताते हुए भारत सरकार में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘भारत 2047 तक एक सुपरपावर बन सकता है। इसके लिए संसाधनों का सदुपयोग करना होगा क्योंकि भविष्य में इसकी अहम भूमिका होने वाली है। आज मानवीय पहलुओं का विज्ञान और प्रौद्योगिकी में समावेश करना जरूरी है। यह समय सभी को मिल कर सोचने का है कि हमारा ग्रह कैसे सब के रहने योग्य बना रहे। ग्रह को कैसे सुरक्षित और जीवित रखें। सस्टेनेबल विकास को लेकर आईआईटी जोधपुर का काम उल्लेखनीय रहा है और मैं इसके लिए पूरी टीम को बधाई देता हूं।
वर्तमान में 4000 से अधिक छात्र संस्थान के कैंपस और ऑनलाइन शिक्षा के विभिन्न प्रोग्रामों में नामांकित हैं। आज छात्रों को इंजीनियरिंग इनोवेशन को एक माइनर के रूप में चुन कर अपने विचारों को विस्तार देने का अवसर है। यह उम्मीद है कि इस प्रयास से वे उद्योग जगत या अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर इंजीनियरिंग अनुसंधान में कदम रखेंगे। संस्थान के अंदर और बाहर के 488 अनुसंधान प्रोजेक्ट जारी हैं जिनके लिए कुल लगभग 200 करोड़ रुपये की राशि मंजूर है।