बीएसएनके न्यूज डेस्क। उत्तराखण्ड नैनीताल हाई कोर्ट में दायर दायर जनहित याचिका की सुनवाई कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस एनएस धानिक की खंडपीठ में हुई।
उत्तराखंड में स्थित नैनीताल हाई कोर्ट ने बीते बुधवार को साल 2016 में सिडकुल पंतनगर में 40 पदों पर नियमों को ताक पर रखकर की गई नियुक्तियों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर मामले की सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को अगले तीन महीनों के भीतर एसआईटी के माध्यम से इसकी जांच-पड़ताल पूरी कराने के निर्देश देते हुए जनहित याचिका को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया है।
दरअसल, इस मामले में दायर दायर जनहित याचिका की सुनवाई कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस एनएस धानिक की खंडपीठ में हुई। वहीं, हल्द्वानी के रहने वाले प्रकाश पांडे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि 2016 में सिडकुल पंतनगर में विभिन्न 40 से 45 पदों के सापेक्ष नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी हुई थी। जहां पर इन पदों के लिए कई अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था, लेकिन इन पदों के लिए कोई लिखित परीक्षा नहीं हुई। ऐसे में जिन लोगों की नियुक्ति की गई, वो सभी बिना लिखित परीक्षा में बैठे हुए पद में नियुक्ति किए गए है।
अवैध निर्माण के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें- हाई कोर्ट
बता दें कि बीते दिनों नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव वन एवं प्रमुख सचिव पर्यावरण को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के मोरघट्टि, पाखरो क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण के मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष देहरादून के रहने वाले अनु पंत की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट की ओर से भी मामले में स्वत: संज्ञान लिया गया था। अनु पंत ने कहा था कि जिस अधिकारी को उत्तर प्रदेश शासन ने 1999 में विजिलेंस रिपोर्ट में दोषी पाया था उस पर जंगली जानवरों की खाल की खरीद फरोख्त जैसे गंभीर अपराधों की पुष्टि हुई थी।
कोर्ट ने सरकार को 3 महीने के भीतर एसआईटी के माध्यम से जांच कराने का दिया आदेश
बता दें कि चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने कहा कि यही नहीं सभी नियुक्त अभ्यर्थी किसी न किसी राजनेता से जुड़ी हुई हैं। ऐसे में याचिकाकर्ता ने इस पूरे मामले की जांच हाई लेवल कमेटी से कराने की गुहार लगाई है। जबकि सरकार की ओर से सुनवाई के दौरान कहा गया कि इस मामले में फिलहाल एसआईटी की जांच-पड़ताल चल रही है। वहीं, बीते बुधवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को अगले तीन महीने के भीतर एसआईटी के जरिए इस पूरे मामले की जांच जल्द से जल्द करने का निर्देश देते हुए जनहित याचिका को अंतिम रूप से सॉल्व कर दिया है।