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देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार ही एकमात्र उपाय है- दिव्या नेगी घई

बीएसएनके न्यूज डेस्क / देहरादून। स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय कार्यक्रम राष्ट्रीय उद्यमिता सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली के पूसा इंस्टीट्यूट में किया गया। इस सम्मेलन में देश भर के विभिन्न प्रांतों से 1500 से भी ज्यादा अधिकारी और कार्यकर्ताओं ने प्रतिभाग किया।

वही इस आयोजन में स्वदेशी जागरण मंच,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं इसके अनुसांगिक संगठनों के विभिन्न अखिल भारतीय अधिकारियों ने सुबह 9 बजे से सांय 8 बजे तक सभी टेक्निकल सेशन्स में स्वरोजगार और उद्यमिता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।

उत्तराखंड स्वावलंबी भारत अभियान टीम की ओर से उत्तराखंड प्रांत के संयोजक सुरेंद्र सिंह , प्रांत समन्वयक दरबान सिंह, प्रांत महिला समन्वयक प्रीति शुक्ला , प्रांत महिला सह समन्वयक डॉक्टर दिव्या नेगी घई,जिला संयोजक संदीप श्रीवास्तव, प्रिंस यादव एवं कई अन्य कार्यकर्ता शामिल हुए एवं उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया। कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं द्वारा कहा गया कि “देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वरोजगार ही एकमात्र उपाय है।

जब तक हमारा युवा नौकरियों के पीछे भागना छोड़कर अपने आस पास रोजगार के अवसर नही तलाश करेगा तब तक न तो पलायन रुकेगा और ना ही बेरोजगारी की समस्याओं का समाधान निकलेगा” उत्तराखंड के पहाड़ी भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए हम उत्तराखंड के अंदर बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज एवं फैक्ट्रियां नहीं लगा सकते परंतु छोटे-छोटे लघु एवं कुटीर उद्योग के माध्यम से हम लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं एवं उत्तराखंड में एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा दे सकते हैं वहीं पर महिला सशक्तिकरण को भी हम लघु एवं कुटीर उद्योग के माध्यम से बढ़ावा दे सकते हैं।

आने वाले कुछ सालों में हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहे हैं परंतु यह तभी संभव है जब पुरुष एवं महिलाएं सब समान रूप से एक साथ आगे बढ़े, रोजगार का सृजन करें एवं नौकरी ढूंढने के बजाय नौकरी देने लायक बने, इस की प्रबल संभावना तब और बन जाती है।

जब हमारी अर्थव्यवस्था में हर हाथ मे एक प्रमुख कौशल हो और कार्य करने की क्षमता हो। स्वावलंबी भारत अभियान के तहत उत्तराखंड में कौशल विकास के क्षेत्र में अनेकों काम किए जा रहे हैं एवं उत्तराखंड के महिलाओं एवं पुरुषों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा है और उनमें से काफी लोग अपना स्वरोजगार प्रारंभ कर चुके हैं और आने वाले भविष्य में उत्तराखंड स्वरोजगार के मामले में सर्वोपरि होगा। प्रदेश के पांच जिलों में जिला रोजगार सृजन केंद्र खुल चुके हैं और अन्य ज़िलों में जल्द ही खुल जाएंगे।