स्थानीय संपादक / नारायणबगड़ चमोली। जंगली जानवरों के नुक़सान से परेशान सिलकोटी ग्राम पंचायत के ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से उनकी खेती बाड़ी की सुरक्षा की गुहार लगाई है। चार सौ पचास से अधिक की जनसंख्या वाला विकासखंड नारायणबगड का ग्राम पंचायत सिलकोटी के सात तोकों में अधिकतर काश्तकार जंगली जानवरों से परेशान हैं।और ऐसी स्थिति लगभग पिंडर घाटी के सभी गांवों की हैं, जहां जंगली जानवरों के उत्पात से लोगों के खेत खलिहान लगातार बंजर होते जा रहे हैं। जिस कारण लोगों को रोजगार के लिए शहरों पर ही आश्रित होना पड़ रहा है।
पहाड़ों से पलायन की एक सबसे बड़ी वजह यह भी है कि स्थानीय लोग जंगली जानवरों के कारण कृषि से अच्छा उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। ग्राम प्रधान लालसिंह कनेरी,राधादेवी,नीमादेवी,शकुंतला देवी,अमर सिंह कनेरी,नरेंद्र सिंह कनेरी,सरीता देवी,धूमा देवी,रीता देवी,कार्तिकी देवी आदि ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांवों में अधिकांश महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे ही गांव में मौजूद हैं। बाकी युवा और पुरुष रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। उन्होंने बताया कि जब गांव की खेती को जंगली जानवरों ने चौपट कर डाली, तो यहां के अधिकांश पुरुष रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन कर गए हैं।
जिस कारण आए दिन जंगली जानवर के उत्पात से उनको किसी भी विभाग से या शासन से पत्राचार करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। असल में यह ग्राम पंचायत विकासखंड मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर जंगल और पहाड़ी के छोर पर है। यहां से महिलाओं के लिए जंगली जानवरों के नुकसान की सूचना और उस पर कार्यवाही करने के लिए विकासखंड मुख्यालय आना किसी टेढ़ी खीर से कमतर नहीं है। इसलिए वे किसी भी विभागों से मदद की गुहार भी नहीं लगा पा रहे हैं। गांव में अधिकतर महिलाएं और बुजुर्ग ही हैं तो महिलाओं को घर गृहस्थी के लिए दूसरे ज़रूरी कार्यों से ही फुर्सत नहीं मिलती।
बताया कि यहां गांवों में गेहूं और सरसों आदि की फसलों को सुंवरों ने खोद-खोद कर बर्बाद कर रखे हैं,तो बंदरों और हिरनों यह आदि जंगली जानवरों ने भी काश्तकारों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रखा है। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी खेती-बाड़ी की सुरक्षा के लिए कारगर उपाय किए जाएं।
रिपोर्ट – सुरेन्द्र धनेत्रा