बीएसएनके न्यूज डेस्क / नारायणबगड़/थराली,चमोली। सदियों से बैशाख माह में बैशाखी के पावन पर्व से पिण्डर घाटी के विभिन्न कस्बों और गावों में आयोजित होने वाले पौराणिक मेलों का विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद पांचवें दिन के मेले शांति पूर्ण संपन्न हो गए हैं।
कालांतर में इन मेलों में देवी देवताओं के प्रतीक निशाणों, डोलियों और देवी देवताओं के पश्वा ही मेलों में श्रद्धालुओं और मेलार्थियों के आकर्षण के केन्द्र होते थे,जिनमें श्रद्धा के साथ लोगों की अपार भीड उमडती रही थी।
पिछले एक-डेढ़ दसक में समय बदला तो इन देव मेलों में भीड कम होने लगी। इससे पूर्वजों की धरोहरों,अध्यात्म और संस्कृति से जुडें लोगों में चिंता बनने लगी कि कैसे इन मेलों को जीवंत बनाएं रखा जाए।दरअसल इन देव मेलों के स्वरूप में परिवर्तन अकाट्य हैं।
इन्हें सजाया व संवारा तो जा सकता है परन्तु बदले नहीं जा सकते हैं। इसलिए अब चिंतकों ने मेलों के दरमियान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का ऐसे आयोजन करने शुरू किए कि इन आयोजनों में देव संस्कृति से संबंधित कार्यकमों को ही नये और आकर्षक रूप में प्रसतुतिकरण किए गए।जिनके सुफल यह दिखे कि लोग एकबार फिर से इन मेलों की तरफ जमकर लोट आए।
जो कि आने वाली पीढियों के लिए जरूर अच्छी बात है कि वे अपनी संस्कृति और पौराणिक धरोहरों से परिचित होने के साथ साथ उनसे जुडे भी रहंगे,इस तरह वे इन परंपराओं को आगे भी जींवत रख सकेंगे।
यह इसलिए भी जरूरी है कि इन पौराणिक मेलों को किसी ने लिपिबद्ध नहीं किए ऐसे में आज की आधुनिकता में पूर्वजों की यह मिलनसार और सौहार्दपूर्ण विरासत पर खतरा मंडरा रहा है।आज इन विरासतों को बचाकर इतिहास में संजोने की नितांत आवश्यकता है।
इन्हीं मेलों के पांच दिनों मे पिंडरघाटी के कई अलग अलग क्षेत्रों में लगने वाले मेलों की रौनकें शानदार और जीवंत रहीं।पांचवें दिन के मेलों में हंसकोटी, कौब और थराली के माल-बज्वाड़ में मलियाल दानू का मेले आयोजित हुए।माल बज्वाड़ में दो दिवसीय मेले के मलियाल कौथीक व सांस्कृतिक मेले का शुभारंभ क्षेत्र पंचायत सदस्य बबीता देवी ने दीप प्रज्वलित कर किया।
सांस्कृतिक पांडाल में स्थानीय कलाकारों, महिलाओं व बच्चों के देव संस्कृति पर आधारित अनेकों कार्यक्रमों ने लगातार दो दिनों तक दर्शकों के लिए शमाँ बांधे रखा।मलियाल कौथीक के दूसरे व अंतिम दिन कोटग्वाड़ गांव की लक्ष्मी नेगी की टीम ने अतिथियों के लिए स्वागत गीत “आवा श्रीमान आसन विराजा” से शूरूआत की।
इसके बाद माल गांव की महिमा मंगल दल ने “नंदा तेरी जात कैलाश ली जौला सजधजी के”की नंदा राजजात की झांकी को प्रस्तुत कर मेला पांडाल को नंदामय बनाकर दर्शकों को झूमने पर विवश कर दिया।इस बीच बज्वाड़ की बंदना गुसाई ने पर्यावरण पर “आवा दिद्यौ-भुल्यौ आवा जंगल बचोला”पर एकल गीत गाकर तालियां बटोरी।
सबसे बेहतरीन प्रदर्शन कोटग्वाड़ की ही लक्ष्मी नेगी,मालती, ममता आदि बालिकाओं की टीम ने एक के बाद एक प्रस्तुतियां देकर खूब वाहवाही बटोरी तथा पारपंरिक परिधानों में सजकर “औटुवा बेलेणा मेरू,रश्मि रूमेला मेरू,ताकुला ऊंनी कू,ताकुला ऊंनी को मेरो”गीत पर लाजबाब नृत्य प्रस्तुति देकर नगद पुरस्कार भी झटके।
माल-बज्वाड के ग्राम प्रधान व आशू रावत ने कहा कि इन अध्यात्मिक मेलों के माध्यम से क्षेत्रों में हर विधाओं की प्रतिभाओं को निखारने एवं पर्यटन ओर रोजगार भी उपलब्ध कराने का लक्ष्य को लेकर कार्य किए जाने की अपार संभावनाएं हैं और पिंडरघाटी के जागरूक चिंतक इस पर एकजुटता के साथ काम कर रहे हैं।
इस अवसर पर मलियाल मेला कमेटी के अध्यक्ष पुष्कर सिंह रावत ने माल बज्वाड़ के प्रधान आशू रावत के अभूतपूर्व सहयोग की सराहना करते हुए मेले को सफल बनाने के लिए सभी सहयोगियों, क्षेत्रों की महिमा मंगल दलों, युवक मंगल दलों, अतिथियों,कलाकारों,मेलार्थियों व श्रद्धालुओं का शांतिपूर्वक योगदान देने के लिए आभार व्यक्त किया।
मेले के समापन पर मेला कमेटी के सचिव सुजान सिंह रावत, कोषाध्यक्ष खुशहाल सिंह रावत, बलवंत सिंह, कलमसिंह कनवासी,राकेश भारद्वाज, लक्ष्मण सिंह, नरेंद्र सिंह, महिपाल फरस्वाण आदि बडी संख्या में मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन आशु रावत ने किया।
रिपोर्ट- सुरेन्द्र धनेत्रा,स्थानीय संपादक
